Tuesday, August 1, 2017

पाकिस्तान

पाकिस्तानी पार्लियामेंट के उपरी सदन को सीनेट कहते हैं ठीक वैसे ही जैसे हमारे यहाँ राज्यसभा है ...
,,, एक सीनेटर हैं , नाम है ताहिर मशहदी ... पहले ये सेना में बड़े ओहदे पर थे लेकिन रिटायरमेंट के बाद राजनीति में आए , MQM पार्टी के नेता बने .... जब रूतवा कुछ बढ़ा तो सीनेट के लिए चुनकर आए थे।
कुछ समय पहले इन्होंने सीनेट में खड़ा होकर एक बयान दिया था , यूँ कहें कि सरकार से सवाल पूछा था कि चाइना , ईस्ट इंडिया कंपनी की तर्ज पर पाकिस्तान को अपना गुलाम बनाता जा रहा है ..और पाकिस्तानी सरकार और यहाँ की आवाम पलक पाँवड़े बिछा कर चीन की अगवानी करने में लगी है ... तो सरकार इस बारे में क्या सोचती है ? .. तब उस सीनेटर को कोई जवाब नहीं मिला था।
अब मुझे नहीं पता कि ऐसा सोचने वाले या ऐसा सवाल करने वाले लोग पाकिस्तान में कितने प्रतिशत होंगे , पर इतना तय है कि ऐसे लोग बहुत ही कम संख्या में होंगे ,,, सो इनकी भी बात आयी गयी हो गयी थी।
एक वर्ष पहले की मेरी एक पोस्ट थी , जिसे मेरे एक अजीज ने अभी हाल ही में अपनी वाल पर डाला था। उस लेख में मैंने यही लिखा था कि चीन की हालिया विस्तारवादी नीति का पहला शिकार यदि कोई देश होगा तो वह देश पाकिस्तान ही होगा।
चीनी ड्रैगन अपना विकराल मुँह खोले पाकिस्तान को जिस प्रकार निगलना शुरू कर दिया है , एक दिन ऐसा भी आएगा जब विश्व के मानचित्र से पाकिस्तान का नोमोनिशान मिट जाएगा ... और पाकिस्तान की इस बर्बादी की वजह बनेगा भारत के प्रति उसका हद से ज्यादा नफरत और काश्मीर को जी जान से पाने की लालसा ... क्योंकि काश्मीर नाम का रक्त पाकिस्तानियों के नसों में बँटवारे के समय से ही दौड़ रहा है ।
हाफिज़ सईद कई मर्तबा यह बात कह भी चुका है कि हम अपनी बर्बादी की किमत पर भी काश्मीर को हासिल करना चाहेंगे ।
तो मेरे मित्र के वाल पर कुछ तर्कशील मित्र मुझसे असहमति जताते नजर आए और मेरे लेख को काल्पनिक करार दिए थे। तब सोचा था कि कुछ फैक्ट्स रखूँ उनके समक्ष कि आखिर मैं ऐसा क्यों कह रहा हूँ कि पाकिस्तान का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा , लेकिन फिर सोचा कि कभी पोस्ट के माध्यम से ही बताऊँगा ।
अब देखिए कि , चाइना-पाक-इकोनोमिक-काॅरीडोर ( CPEC ) से आम पाकिस्तानी इतने उत्साहित हैं कि वे अपने बच्चों का दाखिला अपने शहर के उन्हीं स्कूलों में करवा रहे हैं जहाँ चीनी भाषा पढ़ायी जाती है। स्कूल प्रबंधन भी चीनी शिक्षकों की भर्ती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं।
62 अरब डॉलर की शुरुआती राशि वाले इस प्रोजेक्ट की वजह से आने वाले वर्षों में लाखों नौकरियाँ पैदा होंगी जिसमें उन्हीं लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी जिन्हें चीनी भाषा में काम काज करना आता हो।
पाकिस्तान के शहरों की बात करें तो सिर्फ इस्लामाबाद में 55000 चीनी नागरिक रहते हैं जो किसी ना किसी रूप में इस प्रोजेक्ट से जुड़े हुए हैं। वहाँ के मकान मालिक पुराने किरायेदारों को हटाकर चीनीयों को रखने लगे हैं। सैकड़ों चीनियों ने तो पूरा का पूरा अपार्टमेंट ही किराए पर या लीज पर बूक करने लगे हैं।
चीन ने एक मास्टर प्लान बनाया है जिसमें लाखों एकड़ कृषि भूमि लीज पर ले लिया है जिसमें सिंचाई परियोजनाएँ लगाकर भूमि को कृषि लायक बनाएगा और अपने पैटेंट बीजों के जरिए अन्न भी उगायेगा । काॅरीडोर के दोनों ओर या फिर शहरों में भी सैकड़ों चीनी बस्तियाँ बनाने का प्लान है , चीनी नागरिकों एवं सैनिकों को इन्हीं बस्तियों में बसाने का प्लान भी है।
बड़े पाकिस्तानी शहरों को जोड़ने वाले प्रमुख राजमार्गों की निगरानी भी चीन अपने हाथों में ले रहा है , जिनपर सीसीटीवी से हर वक्त निगरानी रखेगा।
पाकिस्तान , भारत को नीचा दिखाने के लिए इतनी जल्दबाजी में हैै कि वह अपनी संप्रभुता को ताक पर रखने के लिए तैयार हो चुका है।
चीन अपना खुद का संचार व्यवस्था स्थापित करना शुरू कर दिया है , इसके लिए वह नेशनल फाइबर आॅप्टीक्स सिस्टम बना रहा है ...जो हाई स्पीड इंटरनेट सुविधा से लैस होगा , चीन इसे स्वयं के लिए तो बना ही रहा है लेकिन व्यावसायिक तौर पर पाकिस्तानी नागरिकों को भी इसकी सुविधा प्रदान करेगा।
इसका इस्तेमाल वह टीवी या ब्राॅडकास्टिंग में भी करने वाला है जिससे कि चीन अपनी संस्कृति का प्रचार प्रसार पाकिस्तान में कर सके।
चीन अपनी प्रोजेक्ट और नागरिकों की सुरक्षा के लिए हजारों की संख्या में चीनी सैनिकों को पहले ही पाकिस्तान भेज चुका है जिनकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है क्योंकि काम बढ़ने के साथ साथ सुरक्षा आवश्यकताएँ भी बढ़ती जा रही हैं।
20 सालों के अंदर पाकिस्तान की कुल उर्जा आवश्यकताओं का 80 % आपूर्ति का नियंत्रण चीन के हाथों में आ जाएगा ... जिसके लिए चीन वहाँ उर्जा संयंत्र और हाइडल पावर प्रोजेक्ट लगाना शुरू कर दिया है। कराची के पास चीन ने अपना परमाणु रिएक्टर भी लगाया है , कहने को तो यह रिएक्टर उर्जा आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए ही लगाया है पर इसी बहाने वो पाकिस्तान में अपना एटोमिक कार्यक्रम भी चला सकता है।
लाहौर स्टाॅक एक्सचेंज में चीन एक बहुत बड़ी हिस्सेदारी खरीद चुका है , अब उसका निशाना कराची स्टाॅक एक्सचेंज पर है .. उसके बाद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चीन की ही मुट्ठी में होगी।
पाकिस्तान के सबसे बड़े व्यापारिक बंदरगाह कराची में चीनी व्यापारियों का लगभग आधे हिस्से पर आधिपत्य है जो आने वाले वर्षों में और बढ़ेगा ही।
टूरिज्म , फूड प्रोसेसिंग और टेक्सटाइल जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों पर चीन की पकड़ मजबूत हो चुकी है।
पाकिस्तानी सेना के पास आधे से ज्यादा रक्षा उपकरण एवं हथियार चीन के हैं , जिनकी मरम्मत या रखरखाव के लिए हजारों चीनी टेक्निशीयन नियुक्त किए गए हैं ।
इस तरह से चीन धीरे धीरे अपना पैर पसारता जा रहा है पाकिस्तान में .. लेकिन कुछ लोग हैं जिन्हें ये अवश्य लग रहा है कि पाकिस्तान अब चीन की एक काॅलोनी बनने जा रहा है जिसका वे विरोध कर रहे हैं , पर उनकी आवाज में इतनी तीव्रता नहीं है।
पर जरा सोचिए कि क्यों पाकिस्तान की बहुसंख्यक आबादी को चीन की इस कारगुजारी से परेशानी नहीं है ?
तो इसका उत्तर यही है कि पाकिस्तान का सबसे बड़ा दुश्मन भारत है , भारत के प्रति नफरत का भाव पाकिस्तानियों के दिलों में इस कदर भरा हुआ है कि वे किसी भी सूरत में भारत से कमतर नहीं दिखना चाहते हैं , भारत की बराबरी करने की ललक उन्हें अपनी संप्रभुता को दाँव पर लगाने से नहीं रोक पा रही है।
चीनी ड्रैगन को इससे अच्छा मौका क्या मिलता अपनी विस्तारवादी नीति का प्रसार करने के लिए , जब उसे पाकिस्तान जैसा सहज शिकार मिल रहा हो ?.... एक ऐसा शिकार जो स्वयं ही विकराल ड्रैगन के मुँह में समाने को आतुर हो ?
क्रेडिट्स : श्री संजय दुबे

No comments:

Biography of Eric Garcetti

  Eric Garcetti was born on February 4, 1971, in Los Angeles, California. He is the son of Gil Garcetti, a former Los Angeles County Distric...