Thursday, December 21, 2017

2G Scam | 2G Spectrum Scam |Amount | Accuse | Verdict

2G Scam | 2G Spectrum Scam |Amount | Accuse | Verdict

A.Raja , Kanimozhi, and Others finally acquitted in 2G Spectrum Scam Case

O.P. Saini ,CBI Special Judge said: "I have no hesitation in holding that the the prosecution has failed to prove the charges beyond reasonable doubt. So all are acquitted."

All about 2G Spectrum Scam

The 2G Spectrum Scam. was the biggest scam in modern India worth amount of Rs. 1.76 Lakh Crore.The scam was taken place in the year 2008, the time when 2G spectrum licenses were sold without auction for 122 circles to some private companies for Rs. 1,658 Cr. some beneficiary Accuse companies were The Swan Telecom, Unitech (which became “ Uninor ” after its stakes acquired by Telenor), Idea Cellular, Spice , Datacom (now Videocon Mobile), Tata Tele Services & Loop Telecom.



What was the scam?
  • The Licenses were awarded on the basis of “ First come, First served ”.
  • Time Limit of Application was Insufficient It was direct violation of TRAI Norms)
  • The License distribution was huge underpriced and this caused a loss of 1.76 Lakh Crore  to the Government of India  .
  • After receiving the 2G Spectrum license many companies sold out their shares to the many Multi-National Corporations and the valuation of these companies increased dramatically. 
    For example, according to an study, Unitech bought its spectrum for Rs 1651 Cr. And sold 60% of its shares to Telenor (Norway) for Rs. 6120 Cr. Now the company value was 10,731 Cr.Without even a single subscriber there was such monstrous profit.(this example is for your understanding and the amount may differ) .

       The 2G Spectrum scam was highlighted by Mr Vinod Rai,former CAG( Comptroller General of India ) and CVC PJ Thomas, soon after the auction based sale of 3G Spectrum.

A.Raja ( Andimuthu Raja), The Main Accuse 
Main Accuse was the former Telecom Minister A. Raja later He was forced to resign from his post on Nov. 14, 2010, He was a Member of Parliament from Nilgiris constituency, Tamil Nadu. He was the Cabinet Minister in the Ministry of Communication and Information technology.He is a member of DMK (Dravid Munnetra Kazhagam),a party in the UPA (United Progressive Alliance ).
fomer Prime Minister Mr. Manmohan Singh was also facing the problem as he defended Accuse A. Raja . He said that "All the procedures regarding 2G Spectrum License distribution were executed after his consent. "
CBI had also Ms. Kanimozhi, then Telecom Secretary Siddhartha Behura, Mr. Raja's former private secretary R.K. Chandolia, Unitech Wireless Managing Director Sanjay Chandra, Swan Telecom director and DB Realty MD Vinod Goenka, and Reliance Anil Dhirubhai Ambani Group’s (RADAG) Gautam Doshi, Hari Nair and Surendra Pipara, Swan telecom promoters Shahid Usman Balwa and Vinod Goenka, directors of Kusegaon Fruits and Vegetables Pvt. Ltd. Asif Balwa and Rajiv Agarwal, Bollywood producer Karim Morani, Kalaignar TV director Sharad Kumar. 
The Judicial proceedings in 2G Spectrum Case :
The case was filed by Mr. Subramanian Swamy, who was the President of Janta      Party (merged in Bhartiya Janta Party ) , for the inquiry into the 2G scam.
The case was stated before the bench of Justice G.S. Singhvi and Justice A.K. Ganguly.
Late, another petition was filed by Advocate Prashant Bhushan to examine the CAG report on 2Gspectrum allocation.
Solicitor General Mr. Gopal Subramaniam was representing the government Initially, but later the Attorney General Mr. G.E. Vahanvati was represented the government’s case before the court. He has filed the affidavit on behalf of the P.M.

The Judgement Brief 
 

Tuesday, November 7, 2017

अलसी, चमत्कार नहीं, विज्ञान सिर्फ पढ़ें नहीं, गुने भी !


Image may contain: 1 person

जब से परिष्कृत यानी “रिफाइन्ड तेल” (जो बनते समय उच्च तापमान, हेग्जेन, कास्टिक सोडा, फोस्फोरिक एसिड, ब्लीचिंग क्ले आदि घातक रसायनों के संपर्क से गुजरता है), ट्रांसफेट युक्त पूर्ण या आंशिक हाइड्रोजिनेटेड वसा यानी वनस्पति घी (जिसका प्रयोग सभी पैकेट बंद खाद्य पदार्थों व बेकरी उत्पादनों में धड़ल्ले से किया जाता है), रासायनिक खाद, कीटनाशक, प्रिजर्वेटिव, रंग, रसायन आदि का प्रयोग बढ़ा है तभी से डायबिटीज के रोगियों की संख्या बढ़ी है। हलवाई और भोजनालय भी वनस्पति घी या रिफाइन्ड तेल का प्रयोग भरपूर प्रयोग करते हैं और व्यंजनों को तलने के लिए तेल को बार-बार गर्म करते हैं जिससे वह जहर से भी बदतर हो जाता है। शोधकर्ता इन्ही को डायबिटीज का प्रमुख कारण मानते हैं। पिछले तीन-चार दशकों से हमारे भोजन में ओमेगा-3 वसा अम्ल की मात्रा बहुत ही कम हो गई है और इस कारण हमारे शरीर में ओमेगा-3 व ओमेगा-6 वसा अम्ल यानी हिंदी में कहें तो ॐ-3 और ॐ-6 वसा अम्लों का अनुपात 1:40 या 1:80 हो गया है जबकि यह 1:1 होना चाहिये। यह भी डायबिटीज का एक बड़ा कारण है। डायबिटीज के नियंत्रण हेतु आयुवर्धक, आरोग्यवर्धक व दैविक भोजन अलसी को “अमृत“ तुल्य माना गया है।
अलसी शरीर को स्वस्थ रखती है व आयु बढ़ाती है। अलसी में 23 प्रतिशत ओमेगा-3 फेटी एसिड, 20 प्रतिशत प्रोटीन, 27 प्रतिशत फाइबर, लिगनेन, विटामिन बी ग्रुप, सेलेनियम, पोटेशियम, मेगनीशियम, जिंक आदि होते हैं। सम्पूर्ण विश्व ने अलसी को सुपर स्टार फूड के रूप में स्वीकार कर लिया है और इसे आहार का अंग बना लिया है, लेकिन हमारे देश की स्थिति बिलकुल विपरीत है । अलसी को अतसी, उमा, क्षुमा, पार्वती, नीलपुष्पी, तीसी आदि नामों से भी पुकारा जाता है। अलसी दुर्गा का पांचवा स्वरूप है। प्राचीनकाल में नवरात्री के पांचवे दिन स्कंदमाता यानी अलसी की पूजा की जाती थी और इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता था। जिससे वात, पित्त और कफ तीनों रोग दूर होते है।
- ओमेगा-3 हमारे शरीर की सारी कोशिकाओं, उनके न्युक्लियस, माइटोकोन्ड्रिया आदि संरचनाओं के बाहरी खोल या झिल्लियों का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यही इन झिल्लियों को वांछित तरलता, कोमलता और पारगम्यता प्रदान करता है। ओमेगा-3 का अभाव होने पर शरीर में जब हमारे शरीर में ओमेगा-3 की कमी हो जाती है तो ये भित्तियां मुलायम व लचीले ओमेगा-3 के स्थान पर कठोर व कुरुप ओमेगा-6 फैट या ट्रांस फैट से बनती है, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 का संतुलन बिगड़ जाता है, प्रदाहकारी प्रोस्टाग्लेंडिन्स बनने लगते हैं, हमारी कोशिकाएं इन्फ्लेम हो जाती हैं, सुलगने लगती हैं और यहीं से ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, मोटापा, डिप्रेशन, आर्थ्राइटिस और कैंसर आदि रोगों की शुरूवात हो जाती है।
- आयुर्वेद के अनुसार हर रोग की जड़ पेट है और पेट साफ रखने में यह इसबगोल से भी ज्यादा प्रभावशाली है। आई.बी.एस., अल्सरेटिव कोलाइटिस, अपच, बवासीर, मस्से आदि का भी उपचार करती है अलसी।
- अलसी शर्करा ही नियंत्रित नहीं रखती, बल्कि मधुमेह के दुष्प्रभावों से सुरक्षा और उपचार भी करती है। अलसी में रेशे भरपूर 27% पर शर्करा 1.8% यानी नगण्य होती है। इसलिए यह शून्य-शर्करा आहार कहलाती है और मधुमेह के लिए आदर्श आहार है। अलसी बी.एम.आर. बढ़ाती है, खाने की ललक कम करती है, चर्बी कम करती है, शक्ति व स्टेमिना बढ़ाती है, आलस्य दूर करती है और वजन कम करने में सहायता करती है। चूँकि ओमेगा-3 और प्रोटीन मांस-पेशियों का विकास करते हैं अतः बॉडी बिल्डिंग के लिये भी नम्बर वन सप्लीमेन्ट है अलसी।
- अलसी कॉलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और हृदयगति को सही रखती है। रक्त को पतला बनाये रखती है अलसी। रक्तवाहिकाओं को साफ करती रहती है अलसी।
- अलसी एक फीलगुड फूड है, क्योंकि अलसी से मन प्रसन्न रहता है, झुंझलाहट या क्रोध नहीं आता है, पॉजिटिव एटिट्यूड बना रहता है यह आपके तन, मन और आत्मा को शांत और सौम्य कर देती है। अलसी के सेवन से मनुष्य लालच, ईर्ष्या, द्वेश और अहंकार छोड़ देता है। इच्छाशक्ति, धैर्य, विवेकशीलता बढ़ने लगती है, पूर्वाभास जैसी शक्तियाँ विकसित होने लगती हैं। इसीलिए अलसी देवताओं का प्रिय भोजन थी। यह एक प्राकृतिक वातानुकूलित भोजन है।
- सिम का मतलब सेरीन या शांति, इमेजिनेशन या कल्पनाशीलता और मेमोरी या स्मरणशक्ति तथा कार्ड का मतलब कन्सन्ट्रेशन या एकाग्रता, क्रियेटिविटी या सृजनशीलता, अलर्टनेट या सतर्कता, रीडिंग या राईटिंग थिंकिंग एबिलिटी या शैक्षणिक क्षमता और डिवाइन या दिव्य है।
- त्वचा, केश और नाखुनों का नवीनीकरण या जीर्णोद्धार करती है अलसी। अलसी के शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट ओमेगा-3 व लिगनेन त्वचा के कोलेजन की रक्षा करते हैं और त्वचा को आकर्षक, कोमल, नम, बेदाग व गोरा बनाते हैं। अलसी सुरक्षित, स्थाई और उत्कृष्ट भोज्य सौंदर्य प्रसाधन है जो त्वचा में अंदर से निखार लाता है। त्वचा, केश और नाखून के हर रोग जैसे मुहांसे, एग्ज़ीमा, दाद, खाज, खुजली, सूखी त्वचा, सोरायसिस, ल्यूपस, डेन्ड्रफ, बालों का सूखा, पतला या दोमुंहा होना, बाल झड़ना आदि का उपचार है अलसी। चिर यौवन का स्रोता है अलसी। बालों का काला हो जाना या नये बाल आ जाना जैसे चमत्कार भी कर देती है अलसी। किशोरावस्था में अलसी के सेवन करने से कद बढ़ता है।
- लिगनेन का सबसे बड़ा स्रोत अलसी ही है जो जीवाणुरोधी, विषाणुरोधी, फफूंदरोधी और कैंसररोधी है। अलसी शरीर की रक्षा प्रणाली को सुदृढ़ कर शरीर को बाहरी संक्रमण या आघात से लड़ने में मदद करती हैं और शक्तिशाली एंटी-आक्सीडेंट है। लिगनेन वनस्पति जगत में पाये जाने वाला एक उभरता हुआ सात सितारा पोषक तत्व है जो स्त्री हार्मोन ईस्ट्रोजन का वानस्पतिक प्रतिरूप है और नारी जीवन की विभिन्न अवस्थाओं जैसे रजस्वला, गर्भावस्था, प्रसव, मातृत्व और रजोनिवृत्ति में विभिन्न हार्मोन्स् का समुचित संतुलन रखता है। लिगनेन मासिकधर्म को नियमित और संतुलित रखता है। लिगनेन रजोनिवृत्ति जनित-कष्ट और अभ्यस्त गर्भपात का प्राकृतिक उपचार है। लिगनेन दुग्धवर्धक है। लिगनेन स्तन, बच्चेदानी, आंत, प्रोस्टेट, त्वचा व अन्य सभी कैंसर, एड्स, स्वाइन फ्लू तथा एंलार्ज प्रोस्टेट आदि बीमारियों से बचाव व उपचार करता है।
- जोड़ की हर तकलीफ का तोड़ है अलसी। जॉइन्ट रिप्लेसमेन्ट सर्जरी का सस्ता और बढ़िया उपचार है अलसी। ­­ आर्थ्राइटिस, शियेटिका, ल्युपस, गाउट, ओस्टियोआर्थ्राइटिस आदि का उपचार है अलसी।
- कई असाध्य रोग जैसे अस्थमा, एल्ज़ीमर्स, मल्टीपल स्कीरोसिस, डिप्रेशन, पार्किनसन्स, ल्यूपस नेफ्राइटिस, एड्स, स्वाइन फ्लू आदि का भी उपचार करती है अलसी। कभी-कभी चश्में से भी मुक्ति दिला देती है अलसी। दृष्टि को स्पष्ट और सतरंगी बना देती है अलसी।
- अलसी बांझपन, पुरूषहीनता, शीघ्रस्खलन व स्थम्भन दोष में बहुत लाभदायक है।
- 1952 में डॉ. योहाना बुडविग ने ठंडी विधि से निकले अलसी के तेल, पनीर, कैंसररोधी फलों और सब्ज़ियों से कैंसर के उपचार का तरीका विकसित किया था जो बुडविग प्रोटोकोल के नाम से जाना जाता है। यह कर्करोग का सस्ता, सरल, सुलभ, संपूर्ण और सुरक्षित समाधान है। उन्हें 90 प्रतिशत से ज्यादा सफलता मिलती थी। इसके इलाज से वे रोगी भी ठीक हो जाते थे जिन्हें अस्पताल में यह कहकर डिस्चार्ज कर दिया जाता था कि अब कोई इलाज नहीं बचा है, वे एक या दो धंटे ही जी पायेंगे सिर्फ दुआ ही काम आयेगी। उन्होंने सशर्त दिये जाने वाले नोबल पुरस्कार को एक नहीं सात बार ठुकराया।
अलसी सेवन का तरीकाः- हमें प्रतिदिन 30 – 60 ग्राम अलसी का सेवन करना चाहिये। 30 ग्राम आदर्श मात्रा है। अलसी को रोज मिक्सी के ड्राई ग्राइंडर में पीसकर आटे में मिलाकर रोटी, पराँठा आदि बनाकर खाना चाहिये। डायबिटीज के रोगी सुबह शाम अलसी की रोटी खायें। कैंसर में बुडविग आहार-विहार की पालना पूरी श्रद्धा और पूर्णता से करना चाहिये। इससे ब्रेड, केक, कुकीज, आइसक्रीम, चटनियाँ, लड्डू आदि स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाये जाते हैं।
अलसी को सूखी कढ़ाई में डालिये, रोस्ट कीजिये (अलसी रोस्ट करते समय चट चट की आवाज करती है) और मिक्सी से पीस लीजिये. इन्हें थोड़े दरदरे पीसिये, एकदम बारीक मत कीजिये. भोजन के बाद सौंफ की तरह इसे खाया जा सकता है .
अलसी की पुल्टिस का प्रयोग गले एवं छाती के दर्द, सूजन तथा निमोनिया और पसलियों के दर्द में लगाकर किया जाता है। इसके साथ यह चोट, मोच, जोड़ों की सूजन, शरीर में कहीं गांठ या फोड़ा उठने पर लगाने से शीघ्र लाभ पहुंचाती है। यह श्वास नलियों और फेफड़ों में जमे कफ को निकाल कर दमा और खांसी में राहत देती है।
इसकी बड़ी मात्रा विरेचक तथा छोटी मात्रा गुर्दो को उत्तेजना प्रदान कर मूत्र निष्कासक है। यह पथरी, मूत्र शर्करा और कष्ट से मूत्र आने पर गुणकारी है। अलसी के तेल का धुआं सूंघने से नाक में जमा कफ निकल आता है और पुराने जुकाम में लाभ होता है। यह धुआं हिस्टीरिया रोग में भी गुण दर्शाता है। अलसी के काढ़े से एनिमा देकर मलाशय की शुद्धि की जाती है। उदर रोगों में इसका तेल पिलाया जाता हैं।
अलसी के तेल और चूने के पानी का इमल्सन आग से जलने के घाव पर लगाने से घाव बिगड़ता नहीं और जल्दी भरता है। पथरी, सुजाक एवं पेशाब की जलन में अलसी का फांट पीने से रोग में लाभ मिलता है। अलसी के कोल्हू से दबाकर निकाले गए (कोल्ड प्रोसेस्ड) तेल को फ्रिज में एयर टाइट बोतल में रखें। स्नायु रोगों, कमर एवं घुटनों के दर्द में यह तेल पंद्रह मि.ली. मात्रा में सुबह-शाम पीने से काफी लाभ मिलेगा।
इसी कार्य के लिए इसके बीजों का ताजा चूर्ण भी दस-दस ग्राम की मात्रा में दूध के साथ प्रयोग में लिया जा सकता है। यह नाश्ते के साथ लें।
बवासीर, भगदर, फिशर आदि रोगों में अलसी का तेल (एरंडी के तेल की तरह) लेने से पेट साफ हो मल चिकना और ढीला निकलता है। इससे इन रोगों की वेदना शांत होती है।
अलसी के बीजों का मिक्सी में बनाया गया दरदरा चूर्ण पंद्रह ग्राम, मुलेठी पांच ग्राम, मिश्री बीस ग्राम, आधे नींबू के रस को उबलते हुए तीन सौ ग्राम पानी में डालकर बर्तन को ढक दें। तीन घंटे बाद छानकर पीएं। इससे गले व श्वास नली का कफ पिघल कर जल्दी बाहर निकल जाएगा। मूत्र भी खुलकर आने लगेगा।


इसकी पुल्टिस हल्की गर्म कर फोड़ा, गांठ, गठिया, संधिवात, सूजन आदि में लाभ मिलता है। डायबिटीज के रोगी को कम शर्करा व ज्यादा फाइबर खाने की सलाह दी जाती है। अलसी व गैहूं के मिश्रित आटे में (जहां अलसी और गैहूं बराबर मात्रा में हो)
Credit : Naresh Shah

Thursday, October 26, 2017

XI Xinping Story in Hindi | शी जिनपिंग की कहानी |

File:BRICS leaders meet on the sidelines of 2016 G20 Summit in China.jpg
सन १९१३ में चीन के एक ज़मींदार परिवार में जन्मे शी चोंगशुन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक थे। माओ के करीबियों में से एक रहे चोंगशुन चीन के उपप्रधानमंत्री भी रहे। लेकिन वामपंथ और तानाशाही पर्यायवाची शब्द हैं। १९६२ में पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में माओ ने चोंगशुन को पद से हटाकर जेल में डाल दिया गया। उनका परिवार अब तक एक शाही ज़िन्दगी बिता रहा था, लेकिन अचानक परिस्थितियां बदल गई थीं।
चोंगशुन के १५ वर्षीय बेटे को सज़ा के तौर पर एक देहाती इलाके में रहने के लिए भेज दिया गया, जहां वह ७ वर्षों तक रहा। लेकिन उस चालाक लड़के ने कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ जाने की बजाय पार्टी से जुड़ने का फैसला किया। उसने कई बार पार्टी में शामिल होने की कोशिश की, लेकिन पिता के नाम के कारण उसे बार-बार पार्टी से खारिज किया गया। अंततः १९७४ में उसे पार्टी में घुसने में सफलता मिली और उसे हुबेई प्रांत में पार्टी का स्थानीय सचिव बनाया गया। धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए वह व्यक्ति शंघाई में पार्टी मुखिया बना, फिर पोलित ब्यूरो की स्थाई समिति का सदस्य, कम्युनिस्ट पार्टी का महासचिव और फिर चीन का राष्ट्रपति बन गया!
पिछले हफ्ते चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अधिवेशन में उसे पुनः ५ वर्षों के लिए राष्ट्रपति चुना गया है। इतना ही नहीं, जिस माओ ने उसके पिता को पद से हटाकर जेल भेज दिया था, उसी माओ की बराबरी का महान नेता बताकर अब उसका नाम पार्टी के संविधान में भी शामिल किया गया है। जी हां, मैं बात कर रहा हूं चीन के वर्तमान राष्ट्रपति शी जिनपिंग की, जिनके विचारों को अब पार्टी के संविधान में जोड़ा गया है। इसका अर्थ ये है कि चीन के स्कूलों, कॉलेजों के छात्रों समेत करोड़ों लोग अब शी जिनपिंग की विचारधारा को भी पढ़ेंगे।
चीन के इतिहास में अब तक इतना महत्व खुद माओ त्से तुंग के अलावा केवल एक पूर्व राष्ट्रपति को मिला है, लेकिन उनका नाम मृत्यु के बाद ही संविधान में जोड़ा गया था। शी जिनपिंग का नाम पद पर रहते हुए ही शामिल किया गया है। मुझे लगता है कि यह चीन की सत्ता पर जिनपिंग की मज़बूत पकड़ का संकेत भी है और इस बात का भी संकेत हो सकता है कि जब तक स्वास्थ्य ठीक रहेगा, तब तक जिनपिंग अब इस पद पर बने रहेंगे। वास्तव में इसे चीनी राजनीति में जिनपिंग युग कहा जा सकता है।
इस जिनपिंग युग का मतलब क्या है? चीन के भविष्य पर और पूरी दुनिया पर भी इसका क्या प्रभाव हो सकता है? मुझे नहीं पता कि राहुल गांधी के बयान और हार्दिक पटेल की नौटंकी जैसे फालतू मुद्दों को २४ घंटे दिखाने वाले भारतीय मीडिया चैनलों ने चीन की इस महत्वपूर्ण घटना के बारे में कितनी चर्चा की है या कितना विश्लेषण किया है, लेकिन मुझे लगता है कि अगले पांच वर्षों में पूरी दुनिया पर इसका प्रभाव दिख सकता है। विशेष रूप से पाकिस्तान, अफ्रीका और इधर दक्षिण चीन सागर के कारण पूरे पूर्वी एशिया पर निश्चित रूप से इसका प्रभाव दिखेगा।

हिमालय से लेकर अरब सागर तक पूरे पाकिस्तान से होते हुए ग्वादर बंदरगाह तक जाने वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का प्रभाव पाकिस्तान में अभी से दिखना शुरू भी हो चुका है। इस गलियारे के बहाने पाकिस्तान में चीन का दखल लगातार बढ़ रहा है। चीनी माल से पाकिस्तान के बाज़ार भर रहे हैं और पाकिस्तान से चीन को होने वाला निर्यात लगातार घट रहा है। ग्वादर बंदरगाह भी शायद इस साल के अंत तक शुरू हो जाएगा और अगले पांच वर्षों में संभवतः यह विश्व के सबसे व्यस्त बंदरगाहों में से एक बन चुका होगा। चीन ने एशिया, यूरोप और अफ्रीका तक सड़क, रेल और समुद्री मार्ग के द्वारा पहुंचने के लिए 'बेल्ट एंड रोड' परियोजना शुरू की है, जो जिनपिंग का सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। इस पर चीन खरबों डॉलर का निवेश कर रहा है और सीपेक (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) इसका एक अति-महत्वपूर्ण चरण है। इसके बारे में हमें कितनी जानकारी है? अफ्रीकी देशों में चीन के भारी निवेश के बारे में हम कितना जानते हैं? बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के बारे में कितने लोगों को मालूम है? दक्षिण चीन सागर के झमेलों के बारे में भारत के कितने लोगों ने सुना है? उत्तर कोरिया पर हमारा कितना ध्यान है? फिलीपींस में आइसिस और सेना के बीच कई महीनों तक चले संघर्ष के बारे में कितने लोगों ने सुना है? जापान में शिंजो आबे की जीत के परिणामों की कोई चर्चा तक भारत में हुई? मध्यपूर्व से आइसिस खत्म हो रहा है और अब संभवतः संघर्ष का केंद्र पूर्वी एशिया बनेगा, इस पर हमारा कितना ध्यान है?
भारत के मीडिया चैनलों को जब बेकार के छोटे-छोटे मुद्दों पर घंटों तक बहस करते हुए देखता हूं, लेकिन वास्तविक महत्व वाले मुद्दों की कहीं चर्चा तक नहीं दिखती, तो मुझे वाकई भारत के भविष्य के बारे में सोचकर चिंता होती है। उससे भी ज्यादा चिंता सोशल मीडिया पर यह देखकर होती है कि पढ़े लिखे लोग भी चीन के मामले में केवल इस बहस तक सीमित हैं कि दीवाली में चीनी झालर खरीदें या न खरीदें, चीनी सामानों का बहिष्कार करें या न करें और सरकार को चीनी सामानों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए या नहीं लगाना चाहिए! क्या हमारी चर्चाओं और बहस का स्तर बस इतना ही रह गया है?
विश्व की राजनीति और विभिन्न देशों के क्रियाकलापों का अध्ययन करना और कहां क्या हो रहा है, इसके बारे में यथासंभव जानकारी पढ़ते रहना हमेशा से ही मेरी रुचि का विषय रहा है। चीन विश्व मंच पर एक महत्वपूर्ण देश है और अब मैं चीन के बारे में थोड़ा ज्यादा ध्यान देकर पढ़ना चाहता हूं। उससे भी आगे जाकर मैं सरल शब्दों में वह जानकारी दूसरों तक भी पहुंचाना चाहता हूं। मुझे नहीं मालूम कि ऐसे विषयों के बारे में पढ़ने में कितने लोगों की रुचि होगी। यह भी नहीं मालूम कि मैं खुद इस विषय के बारे में पढ़ने या लिखने के लिए कितना समय निकाल पाऊंगा, लेकिन जब भी, जैसा भी, जितना भी संभव होगा, मैं लिखूंगा और अपने ब्लॉग के माध्यम से आप तक भी पहुंचाता रहूंगा। मैं लाइक गिनने के लिए पोस्ट नहीं लिखता, इसलिए आप इस विषय पर मेरी कोई पोस्ट पढ़ें या न पढ़ें, वह आपकी इच्छा और आपका अधिकार है। लेकिन जब जितना संभव होगा, मैं अब इस विषय पर भी लिखूंगा। अगर आपकी भी इस विषय में रुचि हो, तो मुझे अवश्य बताइये और अगर आपके पास इस विषय के बारे में कोई जानकारी हो, तो वह मुझे भी भेजिये। धन्यवाद!
सुमंत विद्वांस
#सुमंत #Sumantv #SumantBlog

Friday, September 15, 2017

"कट्टर हिन्दू"

Image result for kattar hindu
कुछ लोग संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी से नाराज हैं कि रामजन्मभूमि मन्दिर शीघ्र क्यों नहीं बन रहा है, कट्टर हिंदुत्व का रास्ता संघ ने क्यों त्याग दिया, मोदी जी गोरक्षकों को गुण्डे क्यों कहते हैं, मोदी जी मस्जिद में क्यों गए, आदि-आदि |
संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी से बेहतर कोई विकल्प यदि उपलब्ध हो तो सूचित करें, आज से मैं भी संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी का खुलकर विरोध करना आरम्भ कर दूंगा |
आदि शंकराचार्य आज होते और केन्द्र सरकार उनके आदेश पर चलती तो वे भी संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी की नीतियों की आलोचना नहीं करते, यद्यपि संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी सनातन धर्म की मान्यताओं पर पूरी तरह से खरे नहीं उतरते |
सनातन धर्म की मान्यताओं पर पूरी तरह से खरे कौन-कौन उतरते हैं ? दशनामी अखाड़े के महंथ ? -- जो गैर-हिन्दू गृहस्थ दरजिन को "महामंडलेश्वर" राधे माँ घोषित कर सकते हैं ? "महामंडलेश्वर" सन्यासियों का मुखिया ही हो सकता है | सुखविन्दर कौर न तो हिन्दू है, न सन्यासिन है | राम रहीम के जेल जाने के बाद ही उसके विरुद्ध मुँह खोल सकते हैं, पहले से हिन्दुओं को सावधान क्यों नहीं करते, दिशा निर्देश क्यों नहीं देते ? सबसे बड़े दशनामी अखाड़े के जिस राष्ट्रीय अधिकारी ने यह हरकत की उनपर कोई कार्यवाई नहीं हुई, हालाँकि हंगामा होने पर "महामंडलेश्वर" की उपाधि वापस ले ली गयी |
मान लिया कि संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी कट्टर सनातनी नहीं है, लेकिन यह तो बताया जाय कि असली सनातनी कौन हैं, और जो थोड़े से लोग कट्टर सनातनी हैं क्या उनकी बात हिन्दू समाज मानने के लिए तैयार है ?
हिन्दू समाज जैसा है, उसे वैसा ही संघ और वैसा ही नेता मिल सकता है | हज़ार वर्षों की दासता से हिन्दू समाज निकल रहा है, अभी भी पूरी तरह से स्वतन्त्र नहीं हो पाया है | शिक्षा, मीडिया, आदि पर हिन्दू-विरोधियों का कब्जा है जिस कारण अधिकाँश हिन्दुओं के माथे में भी गलत बातें भरी रहती हैं | राम रहीम का विरोध करने वाली मीडिया भी प्रचार करती है कि राम रहीम के पाँच करोड़ चेले हैं | इतना तो पंजाब और हरियाणा की सम्मिलित जनसंख्या है ! तो क्या उन राज्यों की पूरी आबादी राम रहीम के ही चेले-चेली है | एक भी हिन्दू, सिख और मुस्लिम उन राज्यों में नहीं है ?
मोदी जी नमाज पढने मस्जिद नहीं गए थे, जापान से कई मामलों में सहायता और मैत्री अनिवार्य है जिस कारण जापान को दिखाना है कि भारत एक सहिष्णु देश है | चीन से ख़तरा है, अतः जापान से मैत्री बहुत आवश्यक है | आज ही जापान ने कहा है कि नागरिक उद्देश्यों के लिए भारत को आणविक सहायता देने के लिए जापान तैयार है |
मन्दिर या मस्जिद बनाना सरकार का कार्य नहीं है - यह बात तथाकथित कट्टर हिन्दू नहीं समझते, जो अपने को कट्टर हिन्दू तो कहते हैं किन्तु हिन्दू धर्मशास्त्र के अन्तर्गत कौन से ग्रन्थ आते हैं उनका नाम तक नहीं बता सकते !
हज़ार वर्षों की दासता से हिन्दू समाज निकल रहा है -- इतिहास की इस धारा को पलटना अब सम्भव नहीं है यह क्यों नहीं सूझता ? संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी भले की "कट्टर" न हों, भारत को महाशक्ति बनाने का प्रयास तो कर रहे हैं, जिसका लाभ तथाकथित कट्टर हिन्दुओं को ही सबसे अधिक मिलेगा, सबसे अधिक वे ही कूदेंगे कि अब हिन्दू समाज महाशक्ति बन गया !!
संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी गौतम बुद्ध और अम्बेडकर का नाम जपते थे इसका तो दुःख है कट्टर लोगों को, किन्तु यह क्यों नहीं सूझता को इसी नीति का परिणाम है कि मायावती जैसों का अधिकाँश वोटबैंक ही खिसक गया -- वरना एक करोड़ दलितों को साथ लेकर वह बौद्ध सम्प्रदाय में दीक्षा लेने की गुप्त योजना बना रही थी, जो कि अम्बेडकर भी नहीं कर पाए थे, केवल भाषण देकर रह गए ! संघ और मोदी ने हिन्दू समाज के एक बड़े हिस्से को बौद्ध बनने से बचा लिया | अम्बेडकर के दोषों पर मैं कई बार लिख चुका हूँ, किन्तु ऐसे लेखों का प्रभाव दलितों पर नहीं पड़ने वाला, वे तो अपने "समाज" के नेताओं की ही बातें सुनेंगे | अतः मोदी का रास्ता ठीक है |
जूता को सिर पर और टोपी को पाँव में पहनेंगे तो इसमें जूते और टोपी का दोष नहीं है | कौन संगठन और कौन व्यक्ति किस काम का है उतना ही कार्य उससे लें और उससे अधिक की आशा न रखें, वरना आपको डिप्रेशन दबोच लेगा !
छोटी मोटी घटनाओं से हटकर दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य में समकालीन प्रक्रियाओं को समझने का प्रयास करेंगे तो हिन्दू-पुनरुत्थान की धारा स्पष्ट दिखेगी, जो दिनानुदिन बलवती होती जा रही है | नरेन्द्र मोदी जैसे लोग भी इसी प्रक्रिया के अंग हैं, और उनके विरोधी कट्टर सनातनी भी इसी प्रक्रिया के अंग हैं |
स्वामी विवेकानन्द की सर्वश्रेष्ठ उक्ति यह थी कि जिस प्रकार समुद्र में भाटा आता है तो कुछ काल के लिए लगता है कि समुद्र पीछे हट गया और छोटी लहरें उछल कूद मचाती दिखती हैं, लेकिन फिर समुद्र में ज्वार आता है तो समस्त लहरों, सम्प्रदायों, सीमाओं, बंधनों को तोड़कर सनातन धर्म रूपी समुद्र सबकुछ आत्मसात कर लेता है, सबकुछ लील जाता है |
सम्प्रदाय बनते हैं, बिगड़ते हैं, नष्ट होते हैं, किन्तु धर्म तो वह शाश्वत सनातन समुद्र है जो कभी नष्ट नहीं होता | समाज धर्म पर न चले तो समाज नष्ट होता है, सनातन धर्म नष्ट नहीं होता | जबतक संसार में एक भी सच्चा सनातनी है, तबतक संसार है, क्योंकि लफंगों के लिए विधाता ने सृष्टि नहीं बनायी | अतः झुण्ड की परवाह न करें, सत्य और असत्य के निर्णय में वोट की गिनती न करें, "अहम् ब्रह्मास्मि" का उद्घोष करके सनातन धर्म का ध्वजदण्ड मजबूती से थामने वाला हाथ अकेला भी हो तो उसके साथ ईश्वर रहेंगे |
यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर चाँद मियाँ को साईं बाबा बनाकर प्रचारित करता है तो ऐसा व्यक्ति निश्चित ही नरक जाएगा, वह न तो हिन्दू है और न मुस्लिम | किन्तु जो लोग इन बातों से बेखबर हैं और साधु का धाम समझकर शिरडी जाते हैं उनकी आस्था को गाली मत पढ़ें, क्योंकि भगवान भाव देखते हैं, अदालत की तरह सतही तर्क नहीं | ऐसे लोग हिन्दू हैं | उन्हें कोई गुमराह न करें इसका प्रयास करते रहें, सच्चे धर्म का यथाशक्ति स्वयं भी पालन करें और दूसरों को भी कहें |
नरेन्द्र मोदी अयोध्या के महंथ नहीं है और न ही वहाँ मन्दिर बनाने का उन्होंने कभी वायदा किया था | उनका दायित्व मन्दिर बनाना नहीं, बल्कि दीर्घकाल के कुशासन के पीड़ित देश को पाँव पर खड़ा करना है | उनको अपना कार्य करने दें, मन्दिर बनाना आपका कार्य है, सरकार का नहीं | यह क्या कम है कि संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी के कारण ही आज अपने को कट्टर सनातनी कहने वाले भी उछल कूद रहे हैं ?
लेकिन ये कट्टर लोग केवल उछल कूद मचाते हैं, कुछ करते नहीं | न तो मन्दिर बनाते हैं, न ही सनातन धर्म को समझने और व्यवहार में लागू करने का प्रयास करते हैं, न ही शिक्षा या न्याय-व्यवस्था या बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दों पर कोई जोरदार आन्दोलन करते हैं | कुछ नहीं करते, फिर भी "कट्टर हिन्दू" हैं !!! कुछ नहीं कर सकते तो कम-से-कम प्रातः पाँच मिनट भी जिस देवी-देवता में आस्था हो उनका नाम तो जप लें -- निस्सन्देह लाभ होगा -- माथे का भूसा कुछ तो झड़ेगा !!!
मैं तो कट्टर सनातनी हूँ, लेकिन जब इन "कट्टर" लोगों को देखता हूँ तो अपने को कट्टर कहने में मुझे शर्म आती है |
Credit : श्री विनय झा 






Thursday, August 3, 2017

पति - पत्नी में झगडे

पति - पत्नी में झगडे आम बात हैं। मगर क्या आपकी पत्नी कभी ज़हर खा कर मरने की धमकी देती है या नस काट कर मरने की धमकी ? यदि हाँ तो सतर्क हो जाईये। आपकी शादी को यदि सात साल नहीं हुए हैं तो और भी गंभीर बात है। सात वर्ष के भीतर किसी भी विवाहित महिला की मौत दहेज़ हत्या मान ली जाती है। यदि धमकी के लिए ही नस काटी और महिला गलती से मर गयी तब भी आप मुश्किल में हैं। दहेज़ हत्या यानी 304b में ज़मानत मिलना असंभव के समान होता है। न केवल आप बल्कि आपकी माँ और आपकी बहन के लिए जेल में सास - ननद वाले स्पेशल सेल हैं। आप फेसबुक पर भी कई पेज देख्नेगे जस्टिस फॉर यह वो वाले , जब लड़की मर जाती है तो वो ज़्यादा बड़ी विक्टिम बन जाती है। उस समय लड़के के पास किसी तरह की सहानुभूति नहीं होती ना दोस्तों की , ना रिश्तेदारों की , ना मीडिया की , ना कोर्ट की। बात चाहे जो भी रही हो मगर आप समाज की नज़र में दहेज़ के लोभी दरिंदे होते हो , जो इतना क्रूर है कि उसने चंद पैसों के लिए अपनी ही पत्नी को मरने पर मजबूर कर दिया या मार दिया ।
उस आदमी का दर्द/अवसाद समझने की कोशिश करिएगा कभी जिसने अपमी पत्नी खोयी और साथ ही उसे अपराधी भी बना दिया गया। ज़्यादातर ऐसे मामलों में धमकी मिल रही होती है पर आदमी निभाने की कोशिश करता चला जाता है ताकि शादी चलती रहे।
वहीँ दूसरी ओर यदि विवाहित पुरुष ना रहे तो महिला पर कोई आंच नहीं आती। बल्कि वो उसकी पेंशन , बीमा पाने की अधिकारिणी हो जाती है। ऐसे में न्यायपालिका यह नहीं देखती कि इस महिला ने वास्तव में पत्नी होने का कोई धर्म निभाया भी या नहीं। वो तकनीकी रूप से पत्नी है इसलिए उसे सभी अधिकार हैं। जबकि ऐसे मामलो में लड़के की माँ ज़्यादा परेशान होती है मगर साहनुभूति उस जवान विधवा को मिलती है। देश पर शहीद हुए जवानों की भी माँ कम ही दिखती है अवार्ड लेते हुए।
ऐसे में सबसे खतरनाक जगह मेडिएशन सेण्टर होते हैं। यह सेण्टर गिले शिकवे भूलकर पत्नी को वापिस ले जाने की सलाह देते हैं। ऐसी धमकियों वाली पत्नी को रखना मतलब 304b को बुलावा है। जिस परिवार कल्याण समिति को बनाने की सलाह उच्चतम न्यायालय ने दी है वो कतई पुरुषों के हित में नहीं है। जब तक इन कानूनों की समीक्षा नहीं होती या महिला और उसके परिवार वालों को झूठ बोलने के लिए सज़ा नहीं मिलती तब तक पुरुष को किसी तरह की राहत नहीं मिलेगी चाहे जितनी समितियाँ बना लीजिये। #JT

Credit : Jyoti Tiwary

Tuesday, August 1, 2017

पाकिस्तान

पाकिस्तानी पार्लियामेंट के उपरी सदन को सीनेट कहते हैं ठीक वैसे ही जैसे हमारे यहाँ राज्यसभा है ...
,,, एक सीनेटर हैं , नाम है ताहिर मशहदी ... पहले ये सेना में बड़े ओहदे पर थे लेकिन रिटायरमेंट के बाद राजनीति में आए , MQM पार्टी के नेता बने .... जब रूतवा कुछ बढ़ा तो सीनेट के लिए चुनकर आए थे।
कुछ समय पहले इन्होंने सीनेट में खड़ा होकर एक बयान दिया था , यूँ कहें कि सरकार से सवाल पूछा था कि चाइना , ईस्ट इंडिया कंपनी की तर्ज पर पाकिस्तान को अपना गुलाम बनाता जा रहा है ..और पाकिस्तानी सरकार और यहाँ की आवाम पलक पाँवड़े बिछा कर चीन की अगवानी करने में लगी है ... तो सरकार इस बारे में क्या सोचती है ? .. तब उस सीनेटर को कोई जवाब नहीं मिला था।
अब मुझे नहीं पता कि ऐसा सोचने वाले या ऐसा सवाल करने वाले लोग पाकिस्तान में कितने प्रतिशत होंगे , पर इतना तय है कि ऐसे लोग बहुत ही कम संख्या में होंगे ,,, सो इनकी भी बात आयी गयी हो गयी थी।
एक वर्ष पहले की मेरी एक पोस्ट थी , जिसे मेरे एक अजीज ने अभी हाल ही में अपनी वाल पर डाला था। उस लेख में मैंने यही लिखा था कि चीन की हालिया विस्तारवादी नीति का पहला शिकार यदि कोई देश होगा तो वह देश पाकिस्तान ही होगा।
चीनी ड्रैगन अपना विकराल मुँह खोले पाकिस्तान को जिस प्रकार निगलना शुरू कर दिया है , एक दिन ऐसा भी आएगा जब विश्व के मानचित्र से पाकिस्तान का नोमोनिशान मिट जाएगा ... और पाकिस्तान की इस बर्बादी की वजह बनेगा भारत के प्रति उसका हद से ज्यादा नफरत और काश्मीर को जी जान से पाने की लालसा ... क्योंकि काश्मीर नाम का रक्त पाकिस्तानियों के नसों में बँटवारे के समय से ही दौड़ रहा है ।
हाफिज़ सईद कई मर्तबा यह बात कह भी चुका है कि हम अपनी बर्बादी की किमत पर भी काश्मीर को हासिल करना चाहेंगे ।
तो मेरे मित्र के वाल पर कुछ तर्कशील मित्र मुझसे असहमति जताते नजर आए और मेरे लेख को काल्पनिक करार दिए थे। तब सोचा था कि कुछ फैक्ट्स रखूँ उनके समक्ष कि आखिर मैं ऐसा क्यों कह रहा हूँ कि पाकिस्तान का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा , लेकिन फिर सोचा कि कभी पोस्ट के माध्यम से ही बताऊँगा ।
अब देखिए कि , चाइना-पाक-इकोनोमिक-काॅरीडोर ( CPEC ) से आम पाकिस्तानी इतने उत्साहित हैं कि वे अपने बच्चों का दाखिला अपने शहर के उन्हीं स्कूलों में करवा रहे हैं जहाँ चीनी भाषा पढ़ायी जाती है। स्कूल प्रबंधन भी चीनी शिक्षकों की भर्ती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं।
62 अरब डॉलर की शुरुआती राशि वाले इस प्रोजेक्ट की वजह से आने वाले वर्षों में लाखों नौकरियाँ पैदा होंगी जिसमें उन्हीं लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी जिन्हें चीनी भाषा में काम काज करना आता हो।
पाकिस्तान के शहरों की बात करें तो सिर्फ इस्लामाबाद में 55000 चीनी नागरिक रहते हैं जो किसी ना किसी रूप में इस प्रोजेक्ट से जुड़े हुए हैं। वहाँ के मकान मालिक पुराने किरायेदारों को हटाकर चीनीयों को रखने लगे हैं। सैकड़ों चीनियों ने तो पूरा का पूरा अपार्टमेंट ही किराए पर या लीज पर बूक करने लगे हैं।
चीन ने एक मास्टर प्लान बनाया है जिसमें लाखों एकड़ कृषि भूमि लीज पर ले लिया है जिसमें सिंचाई परियोजनाएँ लगाकर भूमि को कृषि लायक बनाएगा और अपने पैटेंट बीजों के जरिए अन्न भी उगायेगा । काॅरीडोर के दोनों ओर या फिर शहरों में भी सैकड़ों चीनी बस्तियाँ बनाने का प्लान है , चीनी नागरिकों एवं सैनिकों को इन्हीं बस्तियों में बसाने का प्लान भी है।
बड़े पाकिस्तानी शहरों को जोड़ने वाले प्रमुख राजमार्गों की निगरानी भी चीन अपने हाथों में ले रहा है , जिनपर सीसीटीवी से हर वक्त निगरानी रखेगा।
पाकिस्तान , भारत को नीचा दिखाने के लिए इतनी जल्दबाजी में हैै कि वह अपनी संप्रभुता को ताक पर रखने के लिए तैयार हो चुका है।
चीन अपना खुद का संचार व्यवस्था स्थापित करना शुरू कर दिया है , इसके लिए वह नेशनल फाइबर आॅप्टीक्स सिस्टम बना रहा है ...जो हाई स्पीड इंटरनेट सुविधा से लैस होगा , चीन इसे स्वयं के लिए तो बना ही रहा है लेकिन व्यावसायिक तौर पर पाकिस्तानी नागरिकों को भी इसकी सुविधा प्रदान करेगा।
इसका इस्तेमाल वह टीवी या ब्राॅडकास्टिंग में भी करने वाला है जिससे कि चीन अपनी संस्कृति का प्रचार प्रसार पाकिस्तान में कर सके।
चीन अपनी प्रोजेक्ट और नागरिकों की सुरक्षा के लिए हजारों की संख्या में चीनी सैनिकों को पहले ही पाकिस्तान भेज चुका है जिनकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है क्योंकि काम बढ़ने के साथ साथ सुरक्षा आवश्यकताएँ भी बढ़ती जा रही हैं।
20 सालों के अंदर पाकिस्तान की कुल उर्जा आवश्यकताओं का 80 % आपूर्ति का नियंत्रण चीन के हाथों में आ जाएगा ... जिसके लिए चीन वहाँ उर्जा संयंत्र और हाइडल पावर प्रोजेक्ट लगाना शुरू कर दिया है। कराची के पास चीन ने अपना परमाणु रिएक्टर भी लगाया है , कहने को तो यह रिएक्टर उर्जा आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए ही लगाया है पर इसी बहाने वो पाकिस्तान में अपना एटोमिक कार्यक्रम भी चला सकता है।
लाहौर स्टाॅक एक्सचेंज में चीन एक बहुत बड़ी हिस्सेदारी खरीद चुका है , अब उसका निशाना कराची स्टाॅक एक्सचेंज पर है .. उसके बाद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चीन की ही मुट्ठी में होगी।
पाकिस्तान के सबसे बड़े व्यापारिक बंदरगाह कराची में चीनी व्यापारियों का लगभग आधे हिस्से पर आधिपत्य है जो आने वाले वर्षों में और बढ़ेगा ही।
टूरिज्म , फूड प्रोसेसिंग और टेक्सटाइल जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों पर चीन की पकड़ मजबूत हो चुकी है।
पाकिस्तानी सेना के पास आधे से ज्यादा रक्षा उपकरण एवं हथियार चीन के हैं , जिनकी मरम्मत या रखरखाव के लिए हजारों चीनी टेक्निशीयन नियुक्त किए गए हैं ।
इस तरह से चीन धीरे धीरे अपना पैर पसारता जा रहा है पाकिस्तान में .. लेकिन कुछ लोग हैं जिन्हें ये अवश्य लग रहा है कि पाकिस्तान अब चीन की एक काॅलोनी बनने जा रहा है जिसका वे विरोध कर रहे हैं , पर उनकी आवाज में इतनी तीव्रता नहीं है।
पर जरा सोचिए कि क्यों पाकिस्तान की बहुसंख्यक आबादी को चीन की इस कारगुजारी से परेशानी नहीं है ?
तो इसका उत्तर यही है कि पाकिस्तान का सबसे बड़ा दुश्मन भारत है , भारत के प्रति नफरत का भाव पाकिस्तानियों के दिलों में इस कदर भरा हुआ है कि वे किसी भी सूरत में भारत से कमतर नहीं दिखना चाहते हैं , भारत की बराबरी करने की ललक उन्हें अपनी संप्रभुता को दाँव पर लगाने से नहीं रोक पा रही है।
चीनी ड्रैगन को इससे अच्छा मौका क्या मिलता अपनी विस्तारवादी नीति का प्रसार करने के लिए , जब उसे पाकिस्तान जैसा सहज शिकार मिल रहा हो ?.... एक ऐसा शिकार जो स्वयं ही विकराल ड्रैगन के मुँह में समाने को आतुर हो ?
क्रेडिट्स : श्री संजय दुबे

Tuesday, July 11, 2017

#फेंगशुई : #चीन के अदृश्य #हथियार - एक धधकता सत्य!

यह घटना एक परिचित के साथ घटी थी,उन्होंने बाद में सुनाया था। जब गृह प्रवेश के वक्त मित्रों ने नए घर की ख़ुशी में उपहार भेंट किए थे। अगली सुबह जब उन्हेंने उपहारों को खोलना शुरू किया तो उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं था!
एक दो उपहारों को छोड़कर बाकी सभी में #लाफिंगबुद्धा#फेंगशुई_पिरामिड#चाइनीज़_ड्रेगन#कछुआ#फेंगसुई_सिक्के#तीन_टांगों_वाला_मेंढक और #हाथ_हिलाती_हुई_बिल्ली जैसी अटपटी वस्तुएं दी गई थी। जिज्ञासावश उन्होंने इन उपहारों के साथ आए कागजों को पढ़ना शुरू किया जिसमें इन #चाइनीज़ #फेंगशुई के मॉडलों का मुख्य काम और उसे रखने की दिशा के बारे में बताया गया था। जैसे लाफिंग #बुद्धा का काम घर में धन, दौलत, अनाज और प्रसन्नता लाना था और उसे दरवाजे की ओर मुख करके रखना पड़ता था। कछुआ पानी में डूबा कर रखने से कर्ज से मुक्ति, सिक्के वाला तीन टांगों वाला मेंढक रखने से धन का प्रभाव, #चाइनीज #ड्रैगन को कमरे में रखने से रोगों से मुक्ति, #विंडचाइम लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह, प्लास्टिक के #पिरामिडलगाने से वास्तुदोषों से मुक्ति, चाइनीज सिक्के बटुए में रखने से सौभाग्य में वृद्धि होगी ऐसा लिखा था।
यह सब पढ़ कर वह हैरान हो गया क्योंकि यह उपहार उन दोस्तों ने दिए थे जो पेशे से इंजीनियर, डॉक्टर और वकील जैसे पदों पर काम कर रहे थे। हद तो तब हो गई जब डॉक्टर मित्र ने रोग भगाने वाला और आयु बढ़ाने वाला चाइनीज ड्रैगन गिफ्ट किया! जिसमें लिखा था “आपके और आपके परिवार के सुखद स्वास्थ्य का अचूक उपाय”!
इन #फेंगशुई उपहारों में एक प्लास्टिक की सुनहरी बिल्ली भी थी जिसमें बैटरी लगाने के बाद, उसका एक हाथ किसी को बुलाने की मुद्रा में आगे पीछे हिलता रहता था। कमाल तो यह था कि उसके साथ आए कागज में लिखा था “ मुबारक हो, सुनहरी बिल्ली के माध्यम से अपनी रूठी #किस्मत को वापस बुलाने के लिए इसे अपने घर, कार्यालय अथवा दुकान के उत्तर-पूर्व में रखिए!”
उन्होंने इंटरनेट खोलकर #फेंगशुई के बारे में और पता लगाया तो कई रोचक बातें सामने आई। ओह! जब गौर किया तो '#चीनीआकमण का यह गम्भीर पहलू समझ में आया।
दुनिया के अनेक देशों में कहीं न कहीं #फेंगशुई का जाल फैला हुआ है। इसकी मार्केटिंग का तंत्र इंटरनेट पर मौजूद हजारों #वेबसाइट के अलावा, TV कार्यक्रमों, न्यूज़ पेपर्स, और पत्रिकाओं तक के माध्यम से चलता है। मजहबी बनावट के कारण अमूमन मुस्लिम उसके शिकार नही होते। यानी इस हथियार का असल शिकार कौन है? आप समझ सकते हैं। चीनी इस फेंगसुई का इस्तेमाल किसी बाजार में प्रारंम्भिक घुसपैठ के लिए करते हैं।
अनुमानत: भारत में ही केवल इस का कारोबार लगभग 200 करोड रुपए से अधिक का है। उसी के सहारे धीरे-धीरे भारत के उत्पाद मार्केट पर चीनी उत्पादों ने पचास प्रतिशत तक कब्ज़ा लिया है। किसी छोटे शहर की गिफ्ट शॉप से लेकर सुपर माल्स तक चीनी प्रोडक्ट्स आपको हर जगह मिल जाएंगे....वह छा गये है। उन्होंने स्थानीय उत्पादों को लगभग समाप्त कर दिया है। चाइनीज उत्पादों का आक्रामक माल, भारत सहित दुनिया के अलग-अलग देशों में इस कदर बेचा जाता है कि दूसरों की मौलिक अर्थ-व्यवस्था तबाह हो जाती है। सस्ता और बड़ी मात्रा में होना उसका पैंतरा है यानी रणनीति।
यहां मैं #भारत-चीन सीमा संघर्ष, हमसे शत्रुता, उसके इतिहास, तिब्बत को हड़पना, पाकपरस्ती और आतंक को समर्थन, उसकी मिसाइल पालिसी, मक्कारिया आदि नही लिखूंगा जो समझदार है वे खुद समझ जाएंगे।
अब आते हैं उसके जादुई हथियार पर जो जेहन का शिकार करती है !!!
#चीन में #फेंग का अर्थ होता है ‘#वायु’ और #शुई का अर्थ है ‘#जल’ अर्थात फेंगशुई का कोई मतलब है #जलवायु। इसका आपके #सौभाग्य, #स्वास्थ्य और मुकदमे में हार जीत से क्या संबंध है? आप खुद ही समझ सकते हैं.
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परिपेक्ष्य से भी देखा जाए तो कौन सा #भारतीय अपने घर में आग उगलने वाली #चाइनीज #छिपकली यानी #dragon को देख कर प्रसन्नता महसूस कर सकता है? किसी जमाने में जिस बिल्ली को अशुभ मानकर रास्ते पर लोग रुक जाया करते थे; उसी बिल्ली के सुनहरे पुतले को घर में सजाकर सौभाग्य की मिन्नतें करना महामूर्खता नहीं तो और क्या है?
अब जरा सर्वाधिक लोकप्रिय फेंगशुई उपहार #लाफिंगबुद्धा की बात करें- धन की टोकरी उठाए, मोटे पेट वाला गोल मटोल सुनहरे रंग का पुतला- क्या सच में #महात्माबुद्ध है? किसी तरह वह #बुध्द सा सौम्य,शांत और सुडौल दीखता है??
क्या बुद्ध ने अपने किसी प्रवचन में कहीं यह बताया था कि मेरी इस प्रकार की मूर्ति को अपने घर में रखो और मैं तुम्हें सौभाग्य और धन दूंगा? उन्होंने तो सत्य की खोज के लिए स्वयं अपना धन और राजपाट त्याग दिया था।
एक बेजान चाइनीज पुतले ( #लाफिंगबुद्धा) को हमने #तुलसी के बिरवे से ज्यादा बढ़कर मान लिया और तुलसी जैसी रोग मिटाने वाली सदा प्राणवायु देने वाली और हमारी संस्कृति की याद दिलाने वाली प्रकृति के सुंदर देन को अपने घरों से निकालकर, हमने लाफिंग बुद्धा को स्थापित कर दिया और अब उससे सकारात्मकता और सौभाग्य की उम्मीद कर रहे हैं? क्या यही हमारी तरक्की है?
अब तो दुकानदार भी अपनी दुकान का शटर खोलकर सबसे पहले लाफिंग बुद्धा को नमस्कार करते हैं और कभी-कभी तो अगरबत्ती भी लगाते हैं!
फेंगसुई की दुनिया का एक और लोकप्रिय मॉडल है चीनी देवता फुक, लुक और साऊ। #फुक को समृद्धि, #लुक को यश-मान-प्रतिष्ठा और #साउ को दीर्घायु का देवता कहा जाता है। फेंगशुई ने बताया और हम अंधभक्तों ने अपने घरों में इन मूर्तियों को लगाना शुरु कर दिया। मैंने देखा कि इंटरनेट पर मिलने वाली इन मूर्तियों की कीमत भारत में ₹200 से लेकर ₹15000 तक है, मसलन जैसी जेब- वैसी मूर्ति और उसी हिसाब से सौभाग्य का भी हिसाब-किताब सेट है।
क्या आप अपनी लोककथाओं और कहानियों में इन तीनों देवताओं का कोई उल्लेख पाते हैं? क्या भारत में फैले 33 कोटि देवी देवताओं से हमारा मन भर गया कि अब इन #चाइनीज देवताओं को भी घर में स्थापित किया जा रहा है?
जरा सोचिए कि किसी #कम्युनिस्ट #चीन के बूढ़े देवता की मूर्ति घर में रखने से हमारी आयु कैसे ज्यादा हो सकती है? क्या इतना सरल तरीका विश्व के बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को अब तक समझ में नहीं आया था?
इसी तरह का एक और फेंगशुई प्रोडक्ट है तीन चाइनीज सिक्के जो लाल रिबन से बंधे होते हैं, फेंगशुई के मुताबिक रिबिन का लाल रंग इन सिक्कों की ऊर्जा को सक्रिय कर देता है और इन सिक्कों से निकली यांग(Yang) ऊर्जा आप के भाग्य को सक्रिय कर देती है। दुकानदारों का कहना है कि इन सिक्कों पर धन के चाइनीज मंत्र भी खुदे होते हैं लेकिन जब मैंने उनसे इन चाइनीज अक्षरों को पढ़ने के लिए कहा तो ना वे इन्हें पढ़ सके और नहीं इनका अर्थ समझा सके?
मेरा पूछना है कि क्या चीन में गरीब लोग नहीं रहते? क्यों चीनी क्म्यूनिष्ट खुद हर नागरिक के बटुवे में यह सिक्के रखवा कर अपनी #गरीबी दूर नहीं कर लेती? हमारे देश के रुपयों से हम इन बेकार के #चाइनीससिक्के खरीद कर न सिर्फ अपना और अपने देश का पैसा हमारे शत्रु मुल्क को भेज रहे हैं बल्कि अपने कमजोर और गिरे हुए आत्मविश्वास का भी परिचय दे रहे हैं।
फेंगशुई के बाजार में एक और गजब का प्रोडक्ट है #तीनटांगोंवालामेंढक जिसके मुंह में एक चीनी सिक्का होता है। फेंगशुई के मुताबिक उसे अपने घर में धन को आकर्षित करने के लिए रखना अत्यंत शुभ होता है। जब मैंने इस मेंढक को पहली बार देखा तो सोचा कि जो देखने में इतना भद्दा लग रहा है वह मेरे घर में #सौभाग्य कैसे लाएगा?
मेंढक का चौथा पैर काट कर उसे तीन टांग वाला बनाकर शुभ मानना किस सिरफिरे की कल्पना है?
क्या किसी #मेंढक के मुंह में सिक्का रखकर घर में धन की बारिश हो सकती है?
संसार के किसी भी जीव विज्ञान के शास्त्र में ऐसे तीन टांग वाले ओर सिक्का खाने वाले मेंढक का उल्लेख क्यों नहीं है?
कम्युनिष्ट चाइना ने इसी तरह के आक्रामक #रणनीति के सहारे धीरे-धीरे भारतीय अर्थ-व्यवस्था पर लगभग कब्ज़ा लिया है। उनके इस हथियार से देश के हजारों छोटे कारीगर, लघु उद्यमी, स्थानीय व्यापार, छोटे-कल कारखाने नष्ट हो चुके है। सब वस्तुएं #China से बनकर आ रही हैं।
वह वस्तुएं भी जिन्हें बनाने में हजारों सालो से हमारे कारीगर निपुण थे। केवल कुम्हार, बढ़ई, लुहार, कर्मकार आदि 2 करोड़ से अधिक जनसँख्या वाली जातियां थे। वे बेकारी के शिकार हो रहे हैं। आप लिस्टिंग करें। ऐसे हजारों काम-व्यापार दिखेगा जिसे चीन ने अपने छोटे-सस्ते उत्पादों को पाट कर नष्ट करके कब्ज़ा लिया।
हम केवल एक बिचौलिए विक्रेता की भूमिका में ही रह गये हैं।
बहुत दिमाग लगाकर समझिये अब युद्द के हथियार वह नही होते हैं जो पारपंरिक थे। अब पूरी योजना से शत्रु के पास जाकर उसके दिमाग को ग्रिप में लेना पड़ता है। यह फेंग-शुई भी उसी दिमागी खेल का हिस्सा है, जो हमारे हजारों साल के अध्यात्मिक ज्ञान को कमजोर करने के लिए भेजा गया है। कम्युनिष्टों ने उसे #गोरिल्लारणनीति की तरह अपनाया है।
अपनी वैज्ञानिक सोच को जागृत करना और इनसे पीछा छुड़ाना अत्यंत आवश्यक है। आप भी अपने आसपास गौर कीजिए आपको कहीं ना कहीं इस फेंगशुई की जहरीली और #अंधविश्वास को बढ़ावा देती चीजें अवश्य ही मिल जाएगी। अब जरा इस पर गौर फरमाएं!! आपने किसी प्रगतिशीलतावादी क्म्युनिष्ट को इनकी बुराई करते देखा है??
दिन भर टीवी पर हिन्दू विश्वासों का "मखौल उड़ाने वालो सो-काल्ड को आपने कभी इस #चाइनीजकम्यूनिष्ट अंध-विश्वास के खिलाफ बोलते सुना है???
समय रहते स्वयं को अपने परिवार को और अपने मित्रों को इस अंधेकुएं से निकालकर अपने देश की मूल्यवान मुद्रा को कम्युनिष्ट #चाइना के फैलाए षड्यंत्र की बलि चढ़ने से बचाइए।
मस्तिष्क का इस्तेमाल बढाइये....#हथियार पहचानिए।
credit : D.S Shukla

Wednesday, July 5, 2017

Ten Things a Hindu Can Do While Using English Language: - written by Francois Gautier

# 01.
Please stop using the term "God fearing" - Hindus never ever fear God. For us, God is everywhere and we are also part of God. God is not a separate entity to fear.
integral
# 02.
Please do not use the meaningless term "RIP" when someone dies. Use "Om Shanti", "Sadgati" or "I wish this atma attains moksha/sadgati /uttama lokas". Hinduism neither has the concept of "soul" nor its "resting". The terms "Atma" and "Jeeva" are, in a way, antonyms for the word "soul".(to be understood in detail)
# 03.
Please don't use the word "Mythology" for our historic epics (Itihas) Ramayana and Mahabharata. Rama and Krishna are historical heroes, not just mythical characters.
# 04.
Please don't be apologetic about idol worship and say “Oh, that's just symbolic". All religions have idolatry in kinds or forms - cross, words, letters (calligraphy) or direction.
Also let's stop using the words the words 'idols', 'statues' or 'images' when we refer to the sculptures of our Gods.
Use the terms 'Moorthi' or 'Vigraha'. If words like Karma, Yoga, Guru and Mantra can be in the mainstream, why not Moorthi or Vigraha?
# 04.
Please don't refer to Ganesh and Hanuman as "Elephant god" and "Monkey god" respectively. You can simply write Shree Ganesh and Shree Hanuman.
# 05.
Please don't refer to our temples as prayer halls. Temples are "devalaya" (abode of god) and not "prathanalaya" (Prayer halls).
# 06.
Please don't wish your children "black birthday" by allowing them to blow off the candles that are kept on top of the birthday cake. Don't throw spit on the divine fire (Agni Deva). Instead, ask them to pray: "Oh divine fire, lead me from darkness to light" (Thamasoma Jyotirgamaya) by lighting a lamp. These are all strong images that go deep into the psyche.
# 07.
Please avoid using the words "spirituality" and "materialistic". For a Hindu, everything is divine. The words spirituality and materialism came to India through evangelists and Europeans who had a concept of Church vs State. Or Science vs Religion. On the contrary, in India, Sages were scientists and the foundation stone of Sanatan Dharma was Science.
# 09.
Please don't use the word "Sin" instead of "Paapa". We only have Dharma (duty, righteousness, responsibility and privilege) and Adharma (when dharma is not followed). Dharma has nothing to do with social or religious morality. 'Papa' derives from Adharma.
# 10.
Please don't use loose translation like meditation for "dhyana" and 'breathing exercise' for "Pranayama". It conveys wrong meanings. Use the original words.
Remember, the world respects only those who respect themselves!
Please circulate so that people can understand about their Hindu Dharma

Tuesday, April 18, 2017

केजरीवाल के नाम एक IIT के इंजीनियर का खुला पत्र*

श्रीमान अरविन्द केजरीवाल जी,

वैसे सामान्यतया मैं आपको गंभीरता से नहीं लेता| परन्तु आज मुझे आपका कुछ कहा व्यक्तिगत रूप से बुरा लगा है|

आप ने कहा की आप "IIT के इंजीनियर" है, तो EVM को हैक करने के 10 तरीके बता सकते है | मैं भी IIT का इंजीनियर (Electrical) हूँ और मैं आपको इस संस्थान की इज्जत मिटटी में नहीं मिलाने दूंगा| आज आपको कुछ तथ्यों से सामना करवाता हूँ| आपने आज से करीब 25 साल पहले IIT खड़गपुर से मेकेनिकल इंजीनियरिंग किया| आप जनता को बेवकूफ बना सकते है पर एक इंजीनियर को नहीं| एक मेकेनिकल इंजीनियर होने के नाते आप EVM के बारे में कुछ नहीं जानते| EVM के बारे में ज्ञान होने के लिए आपको IC Design, Material science, Communication system, Electronics, Embedded system, Microprocessors and Programming ka knowledge hona jaruri hai | इंजीनियर तो सामन्यतया २ साल में सब भूल जाते है अगर उनका नाता इंजीनियरिंग से टूट गया हो और आप को तो 25 साल बीत चुके है, इसलिए "IIT का इंजीनियर" होने के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाना बंद कीजिये|

आप जानते भी है EVM कैसे काम करता है? EVM एक Stand-alone मशीन है, इसका बाहर की दुनिया से कोई नाता नहीं, इसे Software के माध्यम से हैक करना तो लगभग नामुमकिन है| हाँ अगर कोई जाके चिप बदल आये तो संभव है, इसको रोकने के लिए भी चुनाव आयोग आवश्यक प्रशासनिक कदम उठाता है| आप एक हारे हुवे राजनेता के रूप मैं EVM पर प्रश्न उठायें पर एक "IIT का इंजीनियर" होने के नाते नहीं|
वैसे एक सत्य ये भी है की कोई IIT का हो जाने मात्र से अच्छा इंजीनियर नहीं हो जाता| अच्छे इंजीनियर तो वो है जिन्होंने EVM जैसी मशीन बनायीं , और इसका एक एक हिस्सा पूर्ण रूप से भारतीय बनाया ताकि किसी विदेशी को भी न पता चल पाए की EVM कैसे काम करती है | एक हिंदी न्यूज़ चैनल के जाने मने पत्रकार रजत शर्मा ने आपको IIT का Manufacturing Defect करार दिया | कुछ तो शर्म करो, IITs की कितनी बेज्जती करवाओगे|
खैर फिर भी आप को lagata है की EVM हैक हो सकती है तो ये गधे की तरह ढेंचू ढेंचू करना बंद करो | चुनाव आयोग ने सभी को निमत्रण दिया है, आप भी जाएँ , आपके 10 में से कोई 1 तरीका लगाएं , EVM हैक करें और जनता को सिद्ध करें | एक बार हैक करके दिखाओ, फिर कहो मैं IIT से हूँ तो हमें भी अच्छा लगेगा की IIT के मेकेनिकल इंजीनियर ने Electrical , इलेक्ट्रॉनिक्स, मटेरियल साइंस, आईटी इंजीनियर सब को गलत साबित कर दिया| देश का भी भला होगा, पता तो चलेगा की सिस्टम में क्या बदलाव जरुरी है इसे और फुलप्रूफ बनाने के लिए| पर इंजीनियर होने के बावजूद भी आप पुरानी और भी घटिया बैलट पद्धति से चुनाव की मांग कर रहे, ये तो पूरी इंजीनियर कम्युनिटी के लिए शर्मनाक है| इंजीनियर टेक्नोलॉजी के मामले में कभी पीछे मुड़ के नहीं देखते|
आपका शुभचिंतक,
*गौरव, IIT दिल्ली*

Thursday, March 16, 2017

गणित विषय के स्टूडेंट्स का दर्द

गणित विषय के स्टूडेंट्स का दर्द उनकी डायरियों में देखने को मिला :-
1) पता नहीं कौन सी नाव थी वो जो हमेंशा कभी धारा की दिशा में तो कभी धारा के विपरीत दिशा में चलती थी, और हमारी नैया डुबा दिया करती थी।
2) एक खास ट्रेन भी हुआ करती थी जो स्टेशन A से स्टेशन B की ओर चलती थी। मैं पूरे ग्लोब और गूगल का औचक निरीक्षण कर चुका हूँ, पर ये दोनों स्टेशन आज तक नहीं मिले। कभी-कभी एक दूसरी ट्रेन भी होती थी जो स्टेशन B से स्टेशन A की तरफ चलती थी। हालांकि ये कभी नहीं बताया गया कि दोनों स्टेशनों के बीच दो ट्रैक हैं या दोनों ट्रेनें एक ही ट्रैक पर चलती हैं।
पता नहीं वो पागल आदमी कौन होता था जो कभी इन ट्रेनों के विपरीत दौड़ता तो कभी साथ-साथ। जो भी हो, मुझे लगता है कि मुझसे भी ज्यादा बेरोजगार रहा होगा बेचारा।
3) एक बहुत #भ्रष्टाचारी दूधवाला भी हुआ करता था जिसकी खोपड़ी कुछ सटकेली थी। पहले ये भाईसाहब दो छोटे कंटेनर में एक-एक करके तीन भाग दूध और एक भाग पानी मिलाते थे... फिर इस मिश्रण को एक बड़े से कंटेनर जो आधा दूध से भरा होता था, उसमें मिला दिया करते थे।
इसके बाद बड़े प्रेम से पूछते थे कि अब बताओ बेटा कुल कितना भाग दूध और कितना भाग पानी है। अबे , अपना बिजनेस सीक्रेट क्यों ओपन कर रहा है बे?
4) इसी तरह एक ठेकेदार हुआ करता था। ये सज्जन रोज 20 पुरुष, 15 महिलाएं और 10 बच्चों के खेत जुतवाया करते थे। और पूछते हमसे थे कि बताओ इसी तरह 12 पुरुष, 17 महिलायें और 8 बच्चे उसी खेत को कितने दिन में जोतेंगे।
ये कौन सी खेत है जो आज तक जुत ही रही है।
5) एक बड़ा ही अजीबोगरीब इंसान और था। कमीने के पास तीन नल थे - A, B और C. पहले वाले नल को 20 मिनट चलाता, फिर दूसरे नल को 15 मिनट तक।
इसके बाद साला गजब करता। तीसरा नल जो टंकी को खाली करता था उसे चला देता। और हमसे पूछता कि बताओ टंकी कितने देर में खाली होगी!
बताओ है कोई जवाब इसका। भाई जब तुझे #नहाना ही नहीं था तो नल क्यों खोला, पानी बर्बाद करते हो! तुम जैसे के कारण ही #ग्लोबल_वार्मिंग का खतरा बना हुआ है...
6 ) और प्लीज कोई मुझे बताओ कि वो मोटर चालक था आखिर कौन, जो A से B तक पहले 80 km/h की स्पीड से जाता और 50 km/h की स्पीड से वापस आ जाता था । तुम सिर्फ हमारे मजे लेने के लिए यहां से वहां भटकते फिरते थे! पेट्रोल को पानी समझ लिए थे क्या बे? और मेरे से पूछते हो औसत चाल!
जवाब ही चाहिए तो ले सुन.. तुम्हारी चाल और चलन दोनों औसत से भी बहुत नीचे हैं। एक नंबर के #आवारागर्द_इंसान हो तुम जो बस बाइक उठाये भटकते रहते हो।
7) एक बड़े ही उजड़े चमन हुआ करते थे। अक्सर ये पूछते फिरते कि क्लास में लड़कियों की औसत उम्र लड़कों के संख्या की दुगुनी है। यदि 40 विद्यार्थियों की क्लास में लड़कों और लड़कियों का अनुपात 5:1 है तो बताओ लड़कियों की कुल उम्र क्या होगी?" अक्ल से पैदल पुरुष! क्या तुम्हें इतना भी नहीं मालूम कि माहिलाओं से उनकी उम्र नहीं पूछी जाती। बात करते हैं!
8) इसी तरह तीन आदमी हुआ करते थे, A, B और C जो किसी व्यवसाय में क्रमशः 50 हजार, 30 हजार और 20 हजार पूँजी लगाते थे।
(हालांकि मैंने 1901 से 2011 तक के #जनगणना के सारे कागजात देखे हैं, पर मुझे ये तीन नाम पूरे देश में कहीं नहीं मिले।) और हमसे पूछा जाता कि, "बता रे कुल लाभ 25 हजार हुआ हो तो C को कितना मिलेगा?"
अबे केंकड़ों कुछ नहीं मिलेगा तुम दोनों को। C बईमान है। सब पैसे लेकर भाग रहा है। जाओ उसे जाकर पकड़ो पहले।


Friday, February 24, 2017

ब्राम्हण

मुखम् आसीद् ..बाह्वो कृत: .. ऊरू तद् अस्य .. पद्भ्यां अजायत् .. एक दृष्टि..
महाभारत_शान्तिपर्वान्तर्गत मोक्षधर्मपर्व के १८८ वें अध्याय में .."महर्षि भारद्वाज _भृगु संवाद " ..
ब्रम्हा जी ने सृष्टि के आरम्भ में अपने तेज से सूर्य और अग्नि के समान प्रजापती मरीचि आदि ब्राम्हणों को ही उत्पन्न किया ..
असृजद् ब्राम्हणानेवं पूर्वं ब्रम्हा प्रजापतीन् ..
आत्मतेजोऽभि निर्वृतान् भाष्कराग्नि समप्रभाम् ..(१)..
मुनिवर .. पहले वर्णों में कोई अन्तर नहीं था ब्रम्हा जी से उत्पन्न होने के कारण पूर्ण जगत ब्राम्हण ही था .. पीछे कर्मों में भिन्नता के कारण उनमें कर्म भेद हो गया ..
न विशेषोऽस्ति वर्णानां सर्वं ब्राम्ह मिदं जगत् ..
ब्रम्हणा पूर्व सृष्टं हि कर्मभिर्वणतां गतम् ..(१०)
.. जो अपने ब्रम्हण धर्म को त्याग कर विषय भोग के प्रेमी तीक्ष्ण क्रोधी स्वभाव से साहस प्रिय कर्मों को पसंद करने लगे वह ब्राम्हण रक्तवर्ण क्षत्रिय हो गये ..
कामभोग प्रियास्तीक्ष्णा: क्रोधना प्रिय साहसा : ..
तयक्तस्वधर्मा रक्ताङ्गस्ते द्विजा: क्षत्रतां गता : ..(११) ..
जिन्होने गौओं तथा कृषि कर्म करने की वृत्ति को पसन्द करके अपना लिया वह अपने ब्राम्हणोचित धर्म को छोड़ कर पीत वर्ण वैश्य हो गये ..
गोभ्यो वृत्तिं समास्थाय पीता: कृष्युपजीविन: .
स्वधर्मान् नानु तिष्ठंति ते द्विजा: वैश्यतां गता : .. (१२)..
जो शौच सदाचार से भ्रष्ट हो कर हिंसा और असत्य के प्रेमी हो गये , लोभवश व्याध समान सभी निन्द्य कर्म करके जीविका चलाने लगे, वह ब्राम्हण श्याम वर्ण के हो कर शूद्रत्व को प्राप्त हुये..
हिंसानृत प्रिया लुब्धा: सर्वकर्मोपजीविन:
कृष्णा: शौचपरिभ्रष्टास्ते द्विजा: शूद्रतां गता: ... (१३) ...
इन्ही कर्मों के कारण ब्राम्हणत्व से अलग हो कर वे सभी ब्राम्हण अलग अलग वर्णों के हो गये .. " किन्तु उनके लिये धर्मानुष्ठान और यज्ञकर्म का कभी निषेध नहीं किया गया है "..
इत्यैते: कर्मभिर्व्यस्ता द्विजा: वर्णान्तरं गता:
धर्मो यज्ञक्रियां तेषां नित्यं न प्रतिषिध्यते .. (१४) ..
...... यह सम्पूर्ण विश्व ब्रम्ह से ही उत्पन्न हुआ है जो इस सम्पूर्ण जगत् को परम्ब्रम्ह परमात्मा का रूप नहीं जानता वह ब्राम्हण कहलाने का अधिकारी नहीं है , ऐसे लोगों को भिन्न भिन्न योनियों में जन्म लेना पड़ता है ..
ब्रम्ह चैव परं सृष्टं यो न जानन्ति तेऽद्विजा:
तेषां बहुविधास्त्वन्यस्तत्र तत्र हि जातय: .. (१७)


Dr Tribhvan Singh

Thursday, February 16, 2017

AK – 47 राइफल के बारे में रोचक तथ्य


AK – 47 राइफल विश्व में सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला हथियार है क्योंकि यह उपोयग करने में बेहद आसान है और इसे किसी भी मौसम में किसी भी एंगल पर चलाया जा सकता है।
AK – 47 को 1947 में रूस के एक सैनिक मिखाइल कलाशनिकोव ने बनाया था। जिस समय मिखाइल कलाशनिकोव ने AK – 47 को बनाया था तब वह युद्ध में घायल होने की वजह से अस्पताल में भर्ती थे और उनकी आयु मात्र 21 साल थी।
मिखाइल कलाशनिकोव जब छोटे थे तब वह सोचा करते थे कि वह ऐसे उपकरण बनाएंगे जिन से खेती करने में आसानी हो, पर तकदीर ने उनसे एक ऐसा हथियार बनवा दिया जिसके नाम संसार में सबसे ज्यादा हत्याएं करने का रिकार्ड दर्ज है।
पेश है इस विनाशकारी हथियार Ak 47 के बारे में कुछ रोचक तथ्य –
1. AK – 47 का पूरा नाम है – आटोमैटिक कलाशनिकोव 47। इसममें ‘आटोमैटिक’ का अर्थ है – स्वैचालित, ‘कलाशनिकोव’ मिखाइल कलाशनिकोव के नाम पर है और ’47’ वर्ष 1947 के लिए है जब इसे बनाया गया था।
2. AK – 47 से हर साल ढ़ाई लाख लोगों की हत्याएं की जाती है। इनमें से 2 लाख हत्याएं इस्लामिक आतंकवादियों जैसे कि ISIS और अलकायदा द्वारा की जाती हैं।
3. मिखाइल कैलाशनिकोव ने AK – 47 को उन रूसी सैनिकों के लिए बनाया था जिन्हें आर्कटिक (Arctic) के ठंडे मौसम में मोटे – मोटे दस्ताने पहन कर पुरानी किस्म की राइफल चलानी पड़ती थी। पर AK – 47 की खूबियों के कारण जल्द ही यह राइफल पूरी दूनिया में मशहूर हो गई और सभी देशों की सेनाएं इसका उपयोग करने लगी।
4. एके – 47 को आप नए जमाने की तलवार कह सकते हैं क्योंकि जिस तरह पुराने जमाने में सैनिकों के पास तलवार होती थी उसी तरह आज AK – 47 होती है।
5. AK – 47 राइफल में आटोमैटिक और सैमीआटोमैटिक दोनो तरह के गुण होते है। आटोमैटिक का मतलब है एक बार ट्रिगर दबाकर रखने से गोलियां लगातार चलती रहती है और सैमी आटोमैटिक का मतलब है एक बार ट्रिगर दबाने से एक गोली ही चलती है।
6. एके – 47 की लंबाई मात्र 3 फुट होती है और एक पूरी तरह से गोलियो से भरी हुई AK – 47 का वज़न मात्र साढ़े 4 किलो होता है।
7. एके – 47 से एक मिनट में बिना रूके 600 गोलियां दागी जा सकती है। मतलब कि एक सैकेंड में 10 गोलियां। इसका सेहरा AK – 47 की शानदार गैस चेम्बर और स्प्रिंग को जाता है।
8. एके – 47 की रेंज 300 से 400 मीटर तक होती है और एक नौसिखीया भी इससे अचूक निशाना लगा सकता है।
9. AK – 47 राइफल मात्र 8 पुर्जों से बनी होती है जिन्हें कोई भी एक मिनट में आसानी से अलग करके दुबारा जोड़ सकता है।
10. मिखाइल कलाशनिकोव के अनुसार वह एके – 47 से एक लाख से भी ज्यादा गोलियां दाग चुके हैं जिसके कारण वह बहरे हो गए हैं।
11. मिखाइल कलाशनिकोव को अपनी इस खोज़ पर बहुत गर्व था पर वह इस बात पर दुखी भी होते थे कि इसकी वजह से हर साल हज़ारो बेगुनाह इंसान आतंकवादियों द्वारा मार दिए जाते हैं। इस राइफल का सबसे ज्यादा गलत इस्तेमाल तालिबानी आतंकवादियों द्वारा अफ़गानिस्तान में हुआ था।
12. इस समय विश्व में लगभग 10 करोड़ एक – 47 राइफलस हैं। यह संख्या बाकी किसी भी बड़े हथियार से कहीं ज्यादा है।
13. लगभग सभी देशों में किसी आम नागरिक का अपने पास एके – 47 रखना गैरकानूनी है। भारत में यह कानून कितना सख्त है इस बात का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते है कि संजय दत्त को भी एक – 47 रखने की वजह से 5 साल की सज़ा भुगतनी पड़ी।

Major (Retd) Arun Singh

Biography of Eric Garcetti

  Eric Garcetti was born on February 4, 1971, in Los Angeles, California. He is the son of Gil Garcetti, a former Los Angeles County Distric...