कुछ लोग संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी से नाराज हैं कि रामजन्मभूमि मन्दिर शीघ्र क्यों नहीं बन रहा है, कट्टर हिंदुत्व का रास्ता संघ ने क्यों त्याग दिया, मोदी जी गोरक्षकों को गुण्डे क्यों कहते हैं, मोदी जी मस्जिद में क्यों गए, आदि-आदि |
संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी से बेहतर कोई विकल्प यदि उपलब्ध हो तो सूचित करें, आज से मैं भी संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी का खुलकर विरोध करना आरम्भ कर दूंगा |
आदि शंकराचार्य आज होते और केन्द्र सरकार उनके आदेश पर चलती तो वे भी संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी की नीतियों की आलोचना नहीं करते, यद्यपि संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी सनातन धर्म की मान्यताओं पर पूरी तरह से खरे नहीं उतरते |
सनातन धर्म की मान्यताओं पर पूरी तरह से खरे कौन-कौन उतरते हैं ? दशनामी अखाड़े के महंथ ? -- जो गैर-हिन्दू गृहस्थ दरजिन को "महामंडलेश्वर" राधे माँ घोषित कर सकते हैं ? "महामंडलेश्वर" सन्यासियों का मुखिया ही हो सकता है | सुखविन्दर कौर न तो हिन्दू है, न सन्यासिन है | राम रहीम के जेल जाने के बाद ही उसके विरुद्ध मुँह खोल सकते हैं, पहले से हिन्दुओं को सावधान क्यों नहीं करते, दिशा निर्देश क्यों नहीं देते ? सबसे बड़े दशनामी अखाड़े के जिस राष्ट्रीय अधिकारी ने यह हरकत की उनपर कोई कार्यवाई नहीं हुई, हालाँकि हंगामा होने पर "महामंडलेश्वर" की उपाधि वापस ले ली गयी |
मान लिया कि संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी कट्टर सनातनी नहीं है, लेकिन यह तो बताया जाय कि असली सनातनी कौन हैं, और जो थोड़े से लोग कट्टर सनातनी हैं क्या उनकी बात हिन्दू समाज मानने के लिए तैयार है ?
हिन्दू समाज जैसा है, उसे वैसा ही संघ और वैसा ही नेता मिल सकता है | हज़ार वर्षों की दासता से हिन्दू समाज निकल रहा है, अभी भी पूरी तरह से स्वतन्त्र नहीं हो पाया है | शिक्षा, मीडिया, आदि पर हिन्दू-विरोधियों का कब्जा है जिस कारण अधिकाँश हिन्दुओं के माथे में भी गलत बातें भरी रहती हैं | राम रहीम का विरोध करने वाली मीडिया भी प्रचार करती है कि राम रहीम के पाँच करोड़ चेले हैं | इतना तो पंजाब और हरियाणा की सम्मिलित जनसंख्या है ! तो क्या उन राज्यों की पूरी आबादी राम रहीम के ही चेले-चेली है | एक भी हिन्दू, सिख और मुस्लिम उन राज्यों में नहीं है ?
मोदी जी नमाज पढने मस्जिद नहीं गए थे, जापान से कई मामलों में सहायता और मैत्री अनिवार्य है जिस कारण जापान को दिखाना है कि भारत एक सहिष्णु देश है | चीन से ख़तरा है, अतः जापान से मैत्री बहुत आवश्यक है | आज ही जापान ने कहा है कि नागरिक उद्देश्यों के लिए भारत को आणविक सहायता देने के लिए जापान तैयार है |
मन्दिर या मस्जिद बनाना सरकार का कार्य नहीं है - यह बात तथाकथित कट्टर हिन्दू नहीं समझते, जो अपने को कट्टर हिन्दू तो कहते हैं किन्तु हिन्दू धर्मशास्त्र के अन्तर्गत कौन से ग्रन्थ आते हैं उनका नाम तक नहीं बता सकते !
हज़ार वर्षों की दासता से हिन्दू समाज निकल रहा है -- इतिहास की इस धारा को पलटना अब सम्भव नहीं है यह क्यों नहीं सूझता ? संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी भले की "कट्टर" न हों, भारत को महाशक्ति बनाने का प्रयास तो कर रहे हैं, जिसका लाभ तथाकथित कट्टर हिन्दुओं को ही सबसे अधिक मिलेगा, सबसे अधिक वे ही कूदेंगे कि अब हिन्दू समाज महाशक्ति बन गया !!
संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी गौतम बुद्ध और अम्बेडकर का नाम जपते थे इसका तो दुःख है कट्टर लोगों को, किन्तु यह क्यों नहीं सूझता को इसी नीति का परिणाम है कि मायावती जैसों का अधिकाँश वोटबैंक ही खिसक गया -- वरना एक करोड़ दलितों को साथ लेकर वह बौद्ध सम्प्रदाय में दीक्षा लेने की गुप्त योजना बना रही थी, जो कि अम्बेडकर भी नहीं कर पाए थे, केवल भाषण देकर रह गए ! संघ और मोदी ने हिन्दू समाज के एक बड़े हिस्से को बौद्ध बनने से बचा लिया | अम्बेडकर के दोषों पर मैं कई बार लिख चुका हूँ, किन्तु ऐसे लेखों का प्रभाव दलितों पर नहीं पड़ने वाला, वे तो अपने "समाज" के नेताओं की ही बातें सुनेंगे | अतः मोदी का रास्ता ठीक है |
जूता को सिर पर और टोपी को पाँव में पहनेंगे तो इसमें जूते और टोपी का दोष नहीं है | कौन संगठन और कौन व्यक्ति किस काम का है उतना ही कार्य उससे लें और उससे अधिक की आशा न रखें, वरना आपको डिप्रेशन दबोच लेगा !
छोटी मोटी घटनाओं से हटकर दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य में समकालीन प्रक्रियाओं को समझने का प्रयास करेंगे तो हिन्दू-पुनरुत्थान की धारा स्पष्ट दिखेगी, जो दिनानुदिन बलवती होती जा रही है | नरेन्द्र मोदी जैसे लोग भी इसी प्रक्रिया के अंग हैं, और उनके विरोधी कट्टर सनातनी भी इसी प्रक्रिया के अंग हैं |
स्वामी विवेकानन्द की सर्वश्रेष्ठ उक्ति यह थी कि जिस प्रकार समुद्र में भाटा आता है तो कुछ काल के लिए लगता है कि समुद्र पीछे हट गया और छोटी लहरें उछल कूद मचाती दिखती हैं, लेकिन फिर समुद्र में ज्वार आता है तो समस्त लहरों, सम्प्रदायों, सीमाओं, बंधनों को तोड़कर सनातन धर्म रूपी समुद्र सबकुछ आत्मसात कर लेता है, सबकुछ लील जाता है |
सम्प्रदाय बनते हैं, बिगड़ते हैं, नष्ट होते हैं, किन्तु धर्म तो वह शाश्वत सनातन समुद्र है जो कभी नष्ट नहीं होता | समाज धर्म पर न चले तो समाज नष्ट होता है, सनातन धर्म नष्ट नहीं होता | जबतक संसार में एक भी सच्चा सनातनी है, तबतक संसार है, क्योंकि लफंगों के लिए विधाता ने सृष्टि नहीं बनायी | अतः झुण्ड की परवाह न करें, सत्य और असत्य के निर्णय में वोट की गिनती न करें, "अहम् ब्रह्मास्मि" का उद्घोष करके सनातन धर्म का ध्वजदण्ड मजबूती से थामने वाला हाथ अकेला भी हो तो उसके साथ ईश्वर रहेंगे |
यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर चाँद मियाँ को साईं बाबा बनाकर प्रचारित करता है तो ऐसा व्यक्ति निश्चित ही नरक जाएगा, वह न तो हिन्दू है और न मुस्लिम | किन्तु जो लोग इन बातों से बेखबर हैं और साधु का धाम समझकर शिरडी जाते हैं उनकी आस्था को गाली मत पढ़ें, क्योंकि भगवान भाव देखते हैं, अदालत की तरह सतही तर्क नहीं | ऐसे लोग हिन्दू हैं | उन्हें कोई गुमराह न करें इसका प्रयास करते रहें, सच्चे धर्म का यथाशक्ति स्वयं भी पालन करें और दूसरों को भी कहें |
नरेन्द्र मोदी अयोध्या के महंथ नहीं है और न ही वहाँ मन्दिर बनाने का उन्होंने कभी वायदा किया था | उनका दायित्व मन्दिर बनाना नहीं, बल्कि दीर्घकाल के कुशासन के पीड़ित देश को पाँव पर खड़ा करना है | उनको अपना कार्य करने दें, मन्दिर बनाना आपका कार्य है, सरकार का नहीं | यह क्या कम है कि संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी के कारण ही आज अपने को कट्टर सनातनी कहने वाले भी उछल कूद रहे हैं ?
लेकिन ये कट्टर लोग केवल उछल कूद मचाते हैं, कुछ करते नहीं | न तो मन्दिर बनाते हैं, न ही सनातन धर्म को समझने और व्यवहार में लागू करने का प्रयास करते हैं, न ही शिक्षा या न्याय-व्यवस्था या बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दों पर कोई जोरदार आन्दोलन करते हैं | कुछ नहीं करते, फिर भी "कट्टर हिन्दू" हैं !!! कुछ नहीं कर सकते तो कम-से-कम प्रातः पाँच मिनट भी जिस देवी-देवता में आस्था हो उनका नाम तो जप लें -- निस्सन्देह लाभ होगा -- माथे का भूसा कुछ तो झड़ेगा !!!
मैं तो कट्टर सनातनी हूँ, लेकिन जब इन "कट्टर" लोगों को देखता हूँ तो अपने को कट्टर कहने में मुझे शर्म आती है |
संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी से बेहतर कोई विकल्प यदि उपलब्ध हो तो सूचित करें, आज से मैं भी संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी का खुलकर विरोध करना आरम्भ कर दूंगा |
आदि शंकराचार्य आज होते और केन्द्र सरकार उनके आदेश पर चलती तो वे भी संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी की नीतियों की आलोचना नहीं करते, यद्यपि संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी सनातन धर्म की मान्यताओं पर पूरी तरह से खरे नहीं उतरते |
सनातन धर्म की मान्यताओं पर पूरी तरह से खरे कौन-कौन उतरते हैं ? दशनामी अखाड़े के महंथ ? -- जो गैर-हिन्दू गृहस्थ दरजिन को "महामंडलेश्वर" राधे माँ घोषित कर सकते हैं ? "महामंडलेश्वर" सन्यासियों का मुखिया ही हो सकता है | सुखविन्दर कौर न तो हिन्दू है, न सन्यासिन है | राम रहीम के जेल जाने के बाद ही उसके विरुद्ध मुँह खोल सकते हैं, पहले से हिन्दुओं को सावधान क्यों नहीं करते, दिशा निर्देश क्यों नहीं देते ? सबसे बड़े दशनामी अखाड़े के जिस राष्ट्रीय अधिकारी ने यह हरकत की उनपर कोई कार्यवाई नहीं हुई, हालाँकि हंगामा होने पर "महामंडलेश्वर" की उपाधि वापस ले ली गयी |
मान लिया कि संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी कट्टर सनातनी नहीं है, लेकिन यह तो बताया जाय कि असली सनातनी कौन हैं, और जो थोड़े से लोग कट्टर सनातनी हैं क्या उनकी बात हिन्दू समाज मानने के लिए तैयार है ?
हिन्दू समाज जैसा है, उसे वैसा ही संघ और वैसा ही नेता मिल सकता है | हज़ार वर्षों की दासता से हिन्दू समाज निकल रहा है, अभी भी पूरी तरह से स्वतन्त्र नहीं हो पाया है | शिक्षा, मीडिया, आदि पर हिन्दू-विरोधियों का कब्जा है जिस कारण अधिकाँश हिन्दुओं के माथे में भी गलत बातें भरी रहती हैं | राम रहीम का विरोध करने वाली मीडिया भी प्रचार करती है कि राम रहीम के पाँच करोड़ चेले हैं | इतना तो पंजाब और हरियाणा की सम्मिलित जनसंख्या है ! तो क्या उन राज्यों की पूरी आबादी राम रहीम के ही चेले-चेली है | एक भी हिन्दू, सिख और मुस्लिम उन राज्यों में नहीं है ?
मोदी जी नमाज पढने मस्जिद नहीं गए थे, जापान से कई मामलों में सहायता और मैत्री अनिवार्य है जिस कारण जापान को दिखाना है कि भारत एक सहिष्णु देश है | चीन से ख़तरा है, अतः जापान से मैत्री बहुत आवश्यक है | आज ही जापान ने कहा है कि नागरिक उद्देश्यों के लिए भारत को आणविक सहायता देने के लिए जापान तैयार है |
मन्दिर या मस्जिद बनाना सरकार का कार्य नहीं है - यह बात तथाकथित कट्टर हिन्दू नहीं समझते, जो अपने को कट्टर हिन्दू तो कहते हैं किन्तु हिन्दू धर्मशास्त्र के अन्तर्गत कौन से ग्रन्थ आते हैं उनका नाम तक नहीं बता सकते !
हज़ार वर्षों की दासता से हिन्दू समाज निकल रहा है -- इतिहास की इस धारा को पलटना अब सम्भव नहीं है यह क्यों नहीं सूझता ? संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी भले की "कट्टर" न हों, भारत को महाशक्ति बनाने का प्रयास तो कर रहे हैं, जिसका लाभ तथाकथित कट्टर हिन्दुओं को ही सबसे अधिक मिलेगा, सबसे अधिक वे ही कूदेंगे कि अब हिन्दू समाज महाशक्ति बन गया !!
संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी गौतम बुद्ध और अम्बेडकर का नाम जपते थे इसका तो दुःख है कट्टर लोगों को, किन्तु यह क्यों नहीं सूझता को इसी नीति का परिणाम है कि मायावती जैसों का अधिकाँश वोटबैंक ही खिसक गया -- वरना एक करोड़ दलितों को साथ लेकर वह बौद्ध सम्प्रदाय में दीक्षा लेने की गुप्त योजना बना रही थी, जो कि अम्बेडकर भी नहीं कर पाए थे, केवल भाषण देकर रह गए ! संघ और मोदी ने हिन्दू समाज के एक बड़े हिस्से को बौद्ध बनने से बचा लिया | अम्बेडकर के दोषों पर मैं कई बार लिख चुका हूँ, किन्तु ऐसे लेखों का प्रभाव दलितों पर नहीं पड़ने वाला, वे तो अपने "समाज" के नेताओं की ही बातें सुनेंगे | अतः मोदी का रास्ता ठीक है |
जूता को सिर पर और टोपी को पाँव में पहनेंगे तो इसमें जूते और टोपी का दोष नहीं है | कौन संगठन और कौन व्यक्ति किस काम का है उतना ही कार्य उससे लें और उससे अधिक की आशा न रखें, वरना आपको डिप्रेशन दबोच लेगा !
छोटी मोटी घटनाओं से हटकर दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य में समकालीन प्रक्रियाओं को समझने का प्रयास करेंगे तो हिन्दू-पुनरुत्थान की धारा स्पष्ट दिखेगी, जो दिनानुदिन बलवती होती जा रही है | नरेन्द्र मोदी जैसे लोग भी इसी प्रक्रिया के अंग हैं, और उनके विरोधी कट्टर सनातनी भी इसी प्रक्रिया के अंग हैं |
स्वामी विवेकानन्द की सर्वश्रेष्ठ उक्ति यह थी कि जिस प्रकार समुद्र में भाटा आता है तो कुछ काल के लिए लगता है कि समुद्र पीछे हट गया और छोटी लहरें उछल कूद मचाती दिखती हैं, लेकिन फिर समुद्र में ज्वार आता है तो समस्त लहरों, सम्प्रदायों, सीमाओं, बंधनों को तोड़कर सनातन धर्म रूपी समुद्र सबकुछ आत्मसात कर लेता है, सबकुछ लील जाता है |
सम्प्रदाय बनते हैं, बिगड़ते हैं, नष्ट होते हैं, किन्तु धर्म तो वह शाश्वत सनातन समुद्र है जो कभी नष्ट नहीं होता | समाज धर्म पर न चले तो समाज नष्ट होता है, सनातन धर्म नष्ट नहीं होता | जबतक संसार में एक भी सच्चा सनातनी है, तबतक संसार है, क्योंकि लफंगों के लिए विधाता ने सृष्टि नहीं बनायी | अतः झुण्ड की परवाह न करें, सत्य और असत्य के निर्णय में वोट की गिनती न करें, "अहम् ब्रह्मास्मि" का उद्घोष करके सनातन धर्म का ध्वजदण्ड मजबूती से थामने वाला हाथ अकेला भी हो तो उसके साथ ईश्वर रहेंगे |
यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर चाँद मियाँ को साईं बाबा बनाकर प्रचारित करता है तो ऐसा व्यक्ति निश्चित ही नरक जाएगा, वह न तो हिन्दू है और न मुस्लिम | किन्तु जो लोग इन बातों से बेखबर हैं और साधु का धाम समझकर शिरडी जाते हैं उनकी आस्था को गाली मत पढ़ें, क्योंकि भगवान भाव देखते हैं, अदालत की तरह सतही तर्क नहीं | ऐसे लोग हिन्दू हैं | उन्हें कोई गुमराह न करें इसका प्रयास करते रहें, सच्चे धर्म का यथाशक्ति स्वयं भी पालन करें और दूसरों को भी कहें |
नरेन्द्र मोदी अयोध्या के महंथ नहीं है और न ही वहाँ मन्दिर बनाने का उन्होंने कभी वायदा किया था | उनका दायित्व मन्दिर बनाना नहीं, बल्कि दीर्घकाल के कुशासन के पीड़ित देश को पाँव पर खड़ा करना है | उनको अपना कार्य करने दें, मन्दिर बनाना आपका कार्य है, सरकार का नहीं | यह क्या कम है कि संघ परिवार और नरेन्द्र मोदी के कारण ही आज अपने को कट्टर सनातनी कहने वाले भी उछल कूद रहे हैं ?
लेकिन ये कट्टर लोग केवल उछल कूद मचाते हैं, कुछ करते नहीं | न तो मन्दिर बनाते हैं, न ही सनातन धर्म को समझने और व्यवहार में लागू करने का प्रयास करते हैं, न ही शिक्षा या न्याय-व्यवस्था या बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दों पर कोई जोरदार आन्दोलन करते हैं | कुछ नहीं करते, फिर भी "कट्टर हिन्दू" हैं !!! कुछ नहीं कर सकते तो कम-से-कम प्रातः पाँच मिनट भी जिस देवी-देवता में आस्था हो उनका नाम तो जप लें -- निस्सन्देह लाभ होगा -- माथे का भूसा कुछ तो झड़ेगा !!!
मैं तो कट्टर सनातनी हूँ, लेकिन जब इन "कट्टर" लोगों को देखता हूँ तो अपने को कट्टर कहने में मुझे शर्म आती है |
Credit : श्री विनय झा